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चलंत चिकित्सा दल बच्चों की स्क्रीनिंग कर बीमारी दूर करने में कर रहा मदद

755 दल सरकारी स्कूल के बच्चों पर रख रहा नजर

पटना : स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों से लेकर सरकारी तथा मान्यता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर 755 चलंत चिकित्सा दल नजर रख रहा है। कोविड काल में यह दल संक्रमण की रोकथाम में लगा था, लेकिन सभी 38 जिले के सभी प्रखंडों में आंगनबाड़ी केंद्रों तथा स्कूलों के लिए चलंत चिकित्सा दल को पुनः पुराने कार्यों में लगा दिया गया है। चलंत चिकित्सा दल में शामिल चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों की टीम आंगनबाड़ी केंद्रों तथा स्कूलों में जाकर बच्चों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जांच कर रही है।

मंगल पांडेय ने कहा कि जांच के दौरान बच्चों को बीमारियों से ग्रसित पाए जाने पर उन्हें स्वास्थ्य कार्ड देकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सदर अस्पताल के अलावे जरूरत पड़ने पर उच्च चिकित्सीय लाभ दिया जा रहा है। जीरो से 18 वर्ष के बच्चों की स्वास्थ्य जांच कर यह पता लगाया जाता है कि उनमें किसी प्रकार की जन्मजात बीमारी या अन्य स्वास्थ्य संबंधी बीमारी तो नहीं है। चार श्रेणियों में बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है। जिनमें जन्मजातदोष, शारीरिक दुर्बलता, चाइल्डहुड डिजिज, विकास में देरी व विकलांगता जैसी बीमारियां आती हैं। स्वास्थ्य विभाग की कोशिश है कि राज्य में बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कोई कमी न रहे। चलंत चिकित्सा दल में दो आयुष चिकित्सक, एएनएम व फार्मासिस्ट होते हैं, जो जिलों में बच्चों की स्क्रीनिंग कर रोग को पकड़ते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य के सभी जिलों में चलंत चिकित्सा दल कार्यरत हैं। इन दलों के द्वारा बच्चों की बीमारी पकड़ में आने के बाद जिले में कार्यरत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम को सूचित किया जाता है। स्क्रीनिंग से जीरो से 18 वर्ष के बिहार के बच्चे को निःशुल्क चिकित्सा का लाभ मिल रहा है। ऐसे परिवार जो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं रहते हैं, उनको भी इस योजना से लाभ मिल रहा है।