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गांवों में अब नहीं दिखती पहले वाली होली, ढोलक की थाप की आवाज हुई खत्‍म

नवादा : रंगों का उत्सव होलीकादहन के कुछ घंटे शेष बचे हैं, परंतु अब तक जिले में कहीं ढोलक,झाल, करताल व मजीरे की आबाज नहीं सुनाई और दिखाई पड़ रही है। रंग गुलाल लगाने की अब केवल औपचारिकता रह गई है। विकृति आ जाने से अब लोग होली से परहेज करने लगे हैं। घर-घर गांवों में टोलियों का घूम कर होली गायन और पकवान का आनंद लेने का मजा खत्म हो गया है।

सरस्‍वती पूजा से ही दिखने लगता था होली का उत्‍साह

होली का महोत्सव सरस्वती पूजा के बाद ही शुरू हो जाता था जो पूरे एक महीने तक गांवों की गलियों में ढोलक की थाप पर देर रात तक होली गाया जाता था। जिले के नामचीन लोगों में बलराम पाण्डेय , दामोदर प्रसाद सिंह, राम तनिक सिंह, राजेंद्र प्रसाद सिंह, डा. रामबहादुर उर्फ काका, नथुनी गुरुजी, रामनंदन यादव, राम बहादुर मिश्र, शोभाकांत झा, महेश्वर सिंह बाबा, लक्ष्मी चौधरी आदि लोगों की चर्चा होली आते ही शुरू हो जाती है। चूंकि इन लोगों का होली में बहुत बड़ा योगदान होता था।

बुद्ध‍िजीवी वर्ग बढ़-चढ़कर लेता था हिस्‍सा

समाज के बुद्धिजीवी वर्ग होली में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। नाच गान की व्यवस्था की जाती थी। गांवों में होली के दिन गांव के मुखिया, सरपंच एवं बड़े-बड़े गिने-चुने लोग मजलिस लगाते थे। गांव में टोली घूमा करती थी। आज के समय में सब कुछ खत्म हो गया। रंग गुलाल लगाने की परंपरा भर केवल रह गई है।

19 मार्च को मनाई जाएगी होली

इस बार होली का त्‍योहार 19 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन 17 मार्च को ही देर रात में किया जाना है। पूर्णिमा तिथि 18 मार्च को दाेपहर तक रहने के कारण होली 19 मार्च को मनाने की बात ज्‍योति‍षाचार्य और पंडित बता रहे हैं। गांवों में होल‍िका दहन की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बावजूद कहीं कोई उल्लास दिखायी नहीं दे रहा है। लोग परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हैं।