मनरेगा में भ्रष्टाचार, कागजों पर योजना को पूरा दिखाकर कर लिया लाखों का खेल
नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित रजौली प्रखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना गरीबों और मजदूरों को आत्मनिर्भर बनाने के बजाय भ्रष्टाचार व कमिशन खोरी की भेंट चढ़ रही है। प्रखंड में कुछ पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से पात्र लोगों को योजना का लाभ न देकर लाखों रुपए का वारा-न्यारा किया जा रहा है।
मामला बहादुरपुर पंचायत की महियारा, मोहनपुर, खिजुआ, बहादुरपुर, करीगांव, निर्मलबिगहा, भटोलिया और गरिबा आदि गांवों का है। ग्रामीणों ने पंचायत जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों पर आरोप लगाया है कि उनकी मिलीभगत से लाखों रुपये का घोटाला किया जा रहा है।
ग्रामीण रंजन कुमार, पिन्टू कुमार, रघुनन्दन प्रसाद, दिनेश सिंह, अनिल कुमार,नरेश यादव आदि ने बताया कि पंचायत मनरेगा योजना संख्या एलडी/20337483, एलडी/20345688, आईसी 20382149, डब्लूएच/36691 के अलावे अन्य कई योजनाओं के तहत आहर की मिट्टी कटाई, पैन की सफाई, तालाब, स्कूल का खेल का मैदान, कच्ची सड़क और सामुदायिक भवन का निर्माण किया जाना था। किंतु पंचायत प्रतिनिधियों एवं प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी की मिलीभगत से सरकार के करोड़ों रुपए की राशि का घोटाला कर गबन कर लिया गया है।जिसकी जांच कर दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। क्योंकि इसमें जितने भी जॉब कार्डधारी हैं।बिना कार्य किए उनके खाते में राशि उपलब्ध कराया गया है जबकि ये सभी जॉब कार्डधारी मजदूरी करने वाले नहीं है।
प्रखंड क्षेत्र में हजारों जॉब कार्ड ऐसे बनाए गए हैं। जो कभी गरीबी देखी ही नहीं है।इसलिए स्थलीय जांच होना चाहिए कि स्थल पर कार्य किया गया है या नहीं। ग्रामीणों ने बताया कि इसकी शिकायत प्रखंड विकास पदाधिकारी रजौली, अनुमंडल पदाधिकारी रजौली, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी नवादा,जिला पदाधिकारी नवादा,मगध आयुक्त पदाधिकारी गया एवं पंचायती राज पदाधिकारी पटना को दी गई है।
बताया कि सभी वरीय अधिकारियों को दिए आवेदन में वर्णित तथ्यों के आलोक में जांच कर घोटाले बाजों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाकर दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि बहादुरपुर पंचायत में मनरेगा के द्वारा किये गए कार्य मे बहुत अनियमितता बरती जाती है। सेठ साहूकारों का जॉब कार्ड बना हुआ है।वहीं कम मजदूरी देकर कम पढ़े लिखे लोगों से काम लिया जा रहा है।
लोगों की मानें तो बगैर योजना को खोले या फिर बीना सुचना पट लगाए पूरे प्रखंड क्षेत्र में रात के बजाय दिन में ही जेसीबी मशीन के उपयोग कर कार्य की जा रही है।जब कार्य समाप्ति तक पहुंचने की होती है तो मनरेगा के जॉब कार्डधारी मजदूरों को लगाकर योजना खोल कार्य की समाप्ति दिखा कर रूपये का बंदरबांट कर लिया जाता है। ऐसा नहीं है कि स्थानीय अधिकारी से लेकर वरीय अधिकारियों की इसकी जानकारी नहीं है।जानकारी ही नहीं उनके पास शिकायत भी लोगों के द्वारा किया जा रहा है।
बावजूद मनरेगा के भ्रष्टाचार में शामिल लोगों के ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाइ नहीं की जाती है। कई बार तो स्थानीय लोगों के द्वारा जेसीबी मशीन की खुदाई का वीडियो एवं मनरेगा पीओ से संबंधित बातचीत का वीडियो वायरल कर लोगों का जगाने की भी कोशिश की गई। लेकिन ढाक के तीन पात वाली कहावत यहां चरितार्थ हुई। कहीं भी शिकायत करें मनरेगा का भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिससे 100 दिनों का महात्मा गांधी रोजगार योजना गारंटी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है और मजदूर मजबूरन अपने क्षेत्र से पलायन कर दूसरे राज्यों में कार्य ढूंढने जा रहे हैं।