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MLC चुनाव को लेकर कुशवाहा का फॉर्मूला, JDU को 10, पशुपति को नकारा, मांझी व सहनी को भी मिले सीट

पटना : जिला परिषद और प्रखंड पंचायत समितियों के चुनाव संपन्न हो गए। त्रि स्तरीय चुनाव संपन्न होने के बाद स्थानीय निकाय प्राधिकार कोटे से खाली विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू है। त्रिस्तरीय पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि इसके वोटर होते हैं। वहीं, इन सीटों को लेकर आपस में खींचतान जारी है। इसको लेकर सत्ताधारी दलों के बीच अनौपचारिक बातचीत अंतिम दौर में है।

कुशवाहा ने कहा, जदयू को चाहिए 10 सीट

मुख्य रूप से एनडीए के दो घटक दल यानी भाजपा और जदयू के बीच सीट बंटवारे पर अनौपचारिक बातचीत जारी है। जदयू ने भाजपा के समक्ष 24 में से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, यानी आधी सीटों पर। लेकिन, अब कुशवाहा ने 12 के जगह 10 सीट पर चुनाव लड़ने की बात कही है।

MLC चुनाव : 24 में 12 सीटों पर जदयू ने शुरू की तैयारी, प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा समेत ये चेहरे क्षेत्र में सक्रिय

जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू की तरफ से कमान संभालते हुए 50-50 फार्मूला लागू करने की बात कही है। कुशवाहा ने कहा कि पूर्व से जो फार्मूला तय है उसी आधार पर सीटें बंटनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में जदयू को 2 सीटें मिली थीं, फिर भी 50-50 का फार्मूला लागू हुआ था। विधानसभा में भी यही हुआ था। इसलिए विधान परिषद के चुनाव में भी यही फार्मूला लागू होना चाहिए।

पारस को नकारा!

इसके अलावा कुशवाहा ने कहा कि 24 में 20 सीटें भाजपा और जदयू आपस में बांट ले, बाकी 4 सीटें वीआईपी और हम के लिए छोड़ दे। वैसे कुशवाहा ने पशुपति कुमार पारस के लिए एक भी सीट देने की बात नहीं की है।

सीटों के दावे का आधार

विदित हो कि इन सीटों के लिए पिछला चुनाव 2015 में हुआ था। तब भाजपा, रालोसपा और लोजपा एकसाथ लड़ी थी। जिसमें भाजपा 11 और लोजपा 1 एक सीट जीती थी। जदयू 5, राजद 4 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी। जबकि पटना और कटिहार सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। बाद में कटिहार से निर्दलीय चुनाव जीते अशोक अग्रवाल और लोजपा की नूतन सिंह भाजपा में शामिल हो गईं। वहीं, भोजपुर के राधाचरण साह, मुंगेर के संजय प्रसाद, पश्चिम चम्पारण के राजेश राम और सीतामढ़ी के दिलीप राय विधानसभा चुनाव से पहले जदयू में शामिल हो गए। इसके साथ ही यह संख्या बढ़कर क्रमशः 13 और 9 हो गई।

जदयू 12 सीटों पर दावा इसलिए कर रही है, क्योंकि वह इन 9 सीटों के अलावा 3 वैसी सीटों पर दावेदारी ठोक रही है, जिस पर 2009 में जदयू की जीत हुई थी।