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विशेष राज्य का दर्जा नहीं, विशेष नीति बनाने से होगा बिहार का विकास, सभी मंत्रियों को करना होगा शाहनवाज जैसा प्रयास- जायसवाल

पटना : विशेष विशेष राज्य के मुद्दे पर बिहार भाजपा और जदयू के शीर्ष नेतृत्व के बीच जुबानी जंग काफी समय से जारी है। किसी-किसी दिन पूरा जदयू ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बिहार के पिछड़ेपन का जिम्मेदार बताने में कोई कसर नहीं छोड़ती है।

बीते दिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि प्रधानमंत्री जी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले बगैर यहां का पिछड़ेपन दूर होना मुश्किल है। जब तक बिहार विकसित नहीं होगा, विकसित भारत का सपना साकार हो ही नहीं सकता है। बिहारवासियों के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभिन्न क्षेत्रों में बिहार को बहुत आगे बढ़ाया है, विशेष राज्य का दर्जा मिलते ही विकास की रफ़्तार में और तीव्रता आयेगी, बिहार आगे बढ़ेगा और भारत विकसित राष्ट्र बनेगा।

जदयू की मांगों पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल ने आंकड़ों का उदाहरण देते हुए कहा कि महाराष्ट्र की आबादी बिहार से एक करोड़ ज्यादा है फिर भी बिहार को महाराष्ट्र के मुकाबले 31 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलते हैं। बंगाल भी बिहार की भांति पिछड़ा राज्य है पर उसके मुकाबले भी बिहार को 21 हजार करोड़ रुपए ज्यादा मिलता है।

दक्षिण भारत के राज्यों की हमेशा शिकायत रहती है कि केंद्र सरकार हमें कम पैसे देती है क्योंकि हमने आबादी को 70 के दशक में ही केंद्र की नीतियों के कारण रोक लिया था । अब केंद्र सरकार इसको अपराध मानती हैं। जीएसटी से सबसे ज्यादा फायदा बिहार जैसे राज्य को हुआ है। पहले जिस राज्य में उद्योग स्थापित होते थे उनको अलग से कमाई होती थी। अब इस कमाई का बडा़ हिस्सा उपभोक्ता राज्य में बंटता है जिसके कारण बिहार को 20हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त फायदा हुआ है।

जायसवाल ने कहा कि बिहार को अगर आगे बढ़ाना है तो सरकार को ये लक्ष्य रखने ही होंगे।

1. बिहार सरकार को हर हालत में उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। जब तक हम औद्योगिक नीतियां लाकर नए उद्योगों को बढ़ावा नहीं देंगे तब तक ना हम रोजगार देने में सफल हो पाएंगे और ना हीं बिहार की आय बढ़ेगी। शाहनवाज हुसैन अच्छा प्रयास कर रहे हैं पर पूरे मंत्रिमंडल का सहयोग आवश्यक है।

2. जहां भी संभव हो वहां प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप होनी चाहिए। उद्योग लगाने वालों को विलेन समझने की मानसिकता बिहार को कहीं का नहीं छोड़ेगी। बड़ौदा बस स्टैंड विश्व स्तर का है पर ऊपर की मंजिलों में दुकानें खोलकर सारी राशि की भरपाई कर ली गई और गुजरात सरकार का एक पैसा भी नहीं लगा ।वैसे ही गांधीनगर के पूरे साबरमती फ्रंट का डेवलपमेंट उसीमें एक निश्चित भूमि प्राइवेट हाथों में देकर अनेक पार्क सहित पूरे फ्रंट को विकसित करने का कीमत निकाल लिया गया।

3. हम 6 वर्षों में भी प्रधानमंत्री जी के दिए हुए पैकेज का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं।अभी भी दस हजार करोड रुपए से ज्यादा बकाया है ।एक छोटा उदाहरण मेरे लोकसभा का रक्सौल हवाई अड्डा है जिसके लिए प्रधानमंत्री पैकेज में ढाई सौ करोड़ रुपए मिल चुके हैं पर बिहार सरकार द्वारा अतिरिक्त जमीन नहीं देने के कारण आज भी यह योजना रुकी हुई है। प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना में भी बिहार को हजारों करोड़ रुपए मिलने हैं । अगर हमने भूमि उपलब्ध नहीं कराया तो ये किस्से कहानियों की बातें हो जाएंगी।

4. केंद्र सरकार की योजनाओं का समुचित उपयोग करना होगा। जैसे बिहार सरकार के जल नल योजना में केंद्र की 50% राशि लगी है जिसका इस्तेमाल हम पंचायती राज की अन्य योजनाओं में कर सकते थे और जल नल योजना की राशि सीधे जल संसाधन विभाग से ले सकते थे। पिछले वित्तीय वर्ष में 6 हजार करोड़ की राशि बिहार सरकार को आवंटित की गई थी पर जल नल योजना के मद में हमने यह पैसे नहीं लिए।इस तरह की राशियों का सही उपयोग हमें करना होगा।

5. जनसंख्या नियंत्रण के लिए हमें स्वयं काम करना होगा। केवल यह सोच कि समाज स्वयं शिक्षा के साथ जनसंख्या को नियंत्रित कर लेगा, के चक्कर मे बहुत ही देर हो जाएगी। आज भी हम जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए कोई अभियान नहीं चला रहे हैं जबकि इसमें भी बिहार पूरे देश में सबसे ज्यादा फिसड्डी है। अगर केरल के अस्पताल 100 बेड जोड़ते हैं तो प्रति हजार व्यक्ति में इसका इजाफा दिखता है। हम 200 बेड भी जोड़ते हैं तो 300 बच्चे पैदा करने के कारण वह नीति आयोग के आंकड़े में कहीं नहीं दिखता और हम अपनी कमी दूर करने के बजाय नीति आयोग की शिकायत करते हैं ।

जायसवाल ने कहा कि जब हमने एक अच्छे लक्ष्य के लिए गुजरात की भांति 15 हजार करोड़ रुपए की तिलांजलि दी है तो सरकारी राशि का उपयोग होटल और बस स्टैंड जैसी योजनाओं में सैकड़ों करोड़ खर्च करके भवन निर्माण विभाग को खुश करने के बजाय गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए।पीपीपी मोड में इन सब चीजों को बनाने से सरकार का एक पैसा भी नहीं लगेगा उल्टे उसकी आमदनी बढ़ेगी। वैसे भी फाइव स्टार होटल बनाना सरकार का काम नहीं है। 2020 में एनडीए सरकार का गठन आत्मनिर्भर बिहार के 7 निश्चय के आधार पर हुआ था । हमें इस मूल मुद्दे से कभी भटकना नहीं चाहिए।