MLC चुनाव : 24 में जदयू को चाहिए 12, पशुपति को मिल सकता है पुरस्कार, चिराग और तेजस्वी होंगे साथ!

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पटना : बीते दिन यानी 3 जनवरी को जिला परिषद और प्रखंड पंचायत समितियों के चुनाव संपन्न हो गए। त्रि स्तरीय चुनाव संपन्न होने के बाद स्थानीय निकाय प्राधिकार कोटे से खाली विधान परिषद की 24 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू है। त्रिस्तरीय पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि इसके वोटर होते हैं। वहीं, इन सीटों को लेकर आपस में खींचतान शुरू हो गई है। इसको लेकर सत्ताधारी दलों के बीच अनौपचारिक बातचीत शुरू हो गई है।

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जदयू को चाहिए 12 सीटें

मुख्य रूप से एनडीए के दो घटक दल यानी भाजपा और जदयू के बीच सीट बंटवारे पर अनौपचारिक बातचीत हुई है। यह बैठक बीते सप्ताह कैबिनेट बैठक के बाद जदयू के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार की मौजूदगी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और जदयू नेता विजय कुमार चौधरी के बीच हुई। इस बैठक में जदयू ने भाजपा के समक्ष 24 में से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, यानी आधी सीटों पर।

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सीटों के दावों का आधार

विदित हो कि इन सीटों के लिए पिछला चुनाव 2015 में हुआ था। तब भाजपा, रालोसपा और लोजपा एकसाथ लड़ी थी। जिसमें भाजपा 11 और लोजपा 1 एक सीट जीती थी। जदयू 5, राजद 4 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी। जबकि पटना और कटिहार सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। बाद में कटिहार से निर्दलीय चुनाव जीते अशोक अग्रवाल और लोजपा की नूतन सिंह भाजपा में शामिल हो गईं। वहीं, भोजपुर के राधाचरण साह, मुंगेर के संजय प्रसाद, पश्चिम चम्पारण के राजेश राम और सीतामढ़ी के दिलीप राय विधानसभा चुनाव से पहले जदयू में शामिल हो गए। इसके साथ ही यह संख्या बढ़कर क्रमशः 13 और 9 हो गई।

जदयू 12 सीटों पर दावा इसलिए कर रही है, क्योंकि वह इन 9 सीटों के अलावा 3 वैसी सीटों पर दावेदारी ठोक रही है, जिस पर 2009 में जदयू की जीत हुई थी।

पशुपति को पुरस्कार तो आपस में खींचतान पक्का

जानकारी के मुताबिक एनडीए के अंदर प्रमुख दल भाजपा और जदयू के बीच सीटों को लेकर ज्यादा खींचतान नहीं होगी। क्योंकि, भाजपा समझौता की राजनीति के साथ प्रदेश में शासन कर रही है। इसलिए दोनों दलों के बीच विधानसभा चुनाव के समय सीट बंटवारे का जो फॉर्मूला था, उसी आधार पर इन सीटों का बंटवारा होगा। इसके तहत जदयू सीवान और सारण की सीटों पर दावेदारी ठोक रही है। इसके अलावा समस्या यह है कि हम और वीआईपी भी सीटों की मांग कर रहे हैं। वहीं, जदयू पशुपति पारस को वादानुसार एक सीट दे सकती है। पशुपति को सीट मिलने के बाद मांझी और मुकेश सहनी भी चुप नहीं बैठने वाले हैं।

चिराग-तेजस्वी साथ-साथ!

दूसरी तरफ एनडीए से अलग हो चुके चिराग पासवान को महागठबंधन के तरफ से लगातार ऑफर मिल रहा है। राजद इन 24 सीटों में लोजपा को 4 से 5 सीटें देने के लिए तैयार है। संभव है कि चिराग पासवान भी अपना वजूद बचाने के लिए राजद के साथ समझौता कर लें।

2015 का गणित

पटना और कटिहार से निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। बाद में पटना से रितलाल यादव राजद तो कटिहार से अशोक अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गए।

भाजपा

औरंगाबाद, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, रोहतास, सारण, पूर्णिया, मधुबनी, बेगूसराय, समस्तीपुर और दरभंगा सीट पर भाजपा की जीत हुई थी। कटिहार और सहरसा के प्रतिनिधि भाजपा में शामिल हुए, इसके बाद यह संख्या 13 हो गई।

जदयू

नालंदा, गया, बांका, मुजफ्फरपुर और नवादा से जदयू की जीत हुई थी। बाद में भोजपुर, मुंगेर, सीतामढ़ी और पश्चिम चंपारण से जीते प्रतिनिधि जदयू में शामिल हो गए, इसके बाद यह संख्या 9 हो गई।

राजद और अन्य

राजद भोजपुर, वैशाली, सीतामढ़ी और मुंगेर सीट पर जीत दर्ज की थी। 2020 के विस चुनाव से पहले भोजपुर और मुंगेर के जीते हुए उम्मीदवार जदयू का दामन थाम लिया। इसके बाद यह संख्या 2 रह गई। लोजपा और कांग्रेस का इन 24 सीटों में से कोई अस्तित्व नहीं बचा। दोनों दल के एक-एक प्रतिनिधि भाजपा और जदयू में शामिल हो गए।

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