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राहुल गांधी कैसे ड्रैगन के लिए कर रहे प्रोपेगेंडा? क्यों गलवान में नहीं दिखा भारतीय तिरंगा?

नयी दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी चीन के पक्ष में प्रोपेगेंडा करते हुए तब साफ पकड़े गए जब उन्होंने चीन के गलवान में पीएलए का झंडा फहराते तस्वीर को हाथोंहाथ लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट कर चीन के मकसद को पूर्ण भी कर दिया। लेकिन इन्हीें राहुल गांधी को भारतीय सैनिकों द्वारा गलवान में हिंसा वाली जगह पर भारतीय तिरंगा लहराते तस्वीर नहीं दिखी। सेना में शामिल किये गए लेटेस्ट राइफल के साथ भारतीय सैनिकों के गलवान में तिरंगा फहराने की तस्वीर जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो उन्हें सांप सूंघ गया।

पीएम मोदी पर क्या कहा था राहुल ने?

राहुल गांधी ने चीन के पक्ष में ट्वीट करके लिखा था “अभी कुछ दिनों पहले हम 1971 में भारत की गौरवपूर्ण जीत को याद कर रहे थे। देश की सुरक्षा और विजय के लिए सूझबूझ व मज़बूत फ़ैसलों की ज़रूरत होती है। खोखले जुमलों से जीत नहीं मिलती!”

भारतीय सेना ने दिया माकूल जवाब

इसके बाद जब न्यू ईयर पर भारतीय सैनिकों की झंडा फहराते तस्वीर वायरल हुई तो कांग्रेस पार्टी खामोश हो गई। यहां तक कि उनके एक प्रवक्ता पवन खेड़ा से एक चैनल के वरिष्ठ पत्रकार राहुल कंवल ने इसपर सवाल पूछा तो वे गड़बड़ा गए। इसके बाद उन्होंने उनके शो को छोड़ देना ही बेहतर समझा और वहां से चले गए।

नेतागिरी के लिए देश भी दांव पर

ऐसे में सवाल उठता है कि गलवान घाटी पर चीन के प्रोपेगेंडा को सच मान भारतीय राजनीतिज्ञ उनके लिए टूलकिट क्यों बन रहेेेेे हैं। इसका जवाब विशेषज्ञों की इस बात में मिल जाता है कि एक तो उनके पास मोदी सरकार को घेरने का कोई मुद्दा नहीं है। दूसरे लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण उनके भी निजी संबंध चीन से पुराने काल से रहे हैं। लेकिन यहां यह प्रश्न भी उठता है कि मुद्दों की तलाश में देेेेेेेश को दांव पर लगा देना कहां तक उचित है?

जेएनयू प्रोफेसर स्वर्ण सिंह ने बताया

प्रोफेसर सिंह ने बताया कि चीन हमेशा से परोक्ष रूप से आधिपत्य जमाने के लिए जाना जाता रहा है। वह दो क़दम आगे बढ़ाकर एक क़दम पीछे लेने की नीति पर काम करता है। उसका अपने पड़ोसी देशों के साथ यही रवैया रहा है। इसका सबसे मज़बूत उदाहरण दक्षिण चीन सागर है जहां चीन ने धीमे-धीमे अपनी जगह बनाई। लेकिन अगर भारत और चीन संबंधों की बात करें तो चीन के लिए भारत अकेला एक ऐसा पड़ोसी देश है जो एक बड़ा देश है और उसकी सेना बेहद सक्षम है।

चीन की चुराने वाली नीति का सच

चीन ने ये देखा है कि यहां ज़ोर-ज़बरदस्ती से आधिपत्य जमाना संभव नहीं। ऐसे में उनकी रणनीति ये है कि सीमावर्ती इलाकों में बड़े साज़ो-सामान के साथ भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती बनाए रखे। इसबीच वास्तविक संघर्ष की जगह प्रोपेगेंडा वार द्वारा वह दुश्मन यानी भारत के मनोबल को तोड़ने की हरसंभव और संगठित कोशिश कर रहा है। उसकी इसी कोशिश में भारतीय विपक्षी दल परोक्ष रूप से सहयोग कर दे रहे हैं। भले ही उनकी मंशा ऐसा करने की न रही हो।