सावित्री बाई फुले की जयंती को महिला शिक्षिका दिवस के रूप में मनाया जाए, जातीय गणना नहीं होने पर होगा आंदोलन- कुशवाहा

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पटना : जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार पुनः जातीय जनगणना नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनगणना और जातीय गणना नहीं कराती है, तो जदयू इस पर आंदोलन के लिए विचार करेगी।

उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि माता सावित्री बाई फुले की जयंती को महिला शिक्षिका दिवस के रूप में मनाये। कुशवाहा ने कहा कि माता सावित्री बाई फुले ने महिलाओं की शिक्षा के लिए अभियान चलाया और खुद शिक्षिका बनकर नारी शक्ति को शिक्षित किया। उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस बार केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनगणना नहीं कराने के मूड में है।

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उन्हें सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि केंद्र सरकार 2021 में राष्ट्रीय जनगणना नहीं कराकर 2031 में कराएगी। इस बार जनगणना की रिपोर्ट कोरोना वैक्सीनेशन और जन्म-मृत्यु के सर्टिफिकेट के अधार पर संभावित डाटा जुटाकर तैयार की जाएगी। इसके पीछे का तर्क दिया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण में बच्चों की पढ़ाई ऐसे भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। ऐसे में जनगणना में टीचरों को और भी उलझाया नहीं जा सकता है।साथ ही इस साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी है, तो ऐसे में राष्ट्रीय जनगणन कराना और भी मुश्किल है। साथ ही इस राष्ट्रीय जनगणना पर होने वाली खर्च की एक बड़ी राशि को भी बचाया जा सकता है। वैसे भी कोरोना काल में भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट चुकी है। ऐसे में केंद्र सरकार एक बड़ी राशि को बचाना चाहती है।

कुशवाहा ने कहा कि यदि केंद्र सरकार राष्ट्रीय जनगणना इस बार नहीं कराती है, तो इसे जातीय जनगणना न कराने की साजिश के रूप में देखा जाएगा। केंद्र सरकार ऐसा फैसला लेती है, तो जदयू इसको लेकर आंदोलन करने पर विचार कर सकती है। साथ ही उन्होंने बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर कहा कि जदयू ने हमेशा से बिहार के लिए विशेष राज्य की मांग करती आ रही है। हम तो चाहते है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले।

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