ललन सिंह को RCP का जवाब, कहा- दाएं-बाएं करने की जरूरत नहीं, जो काम मिला है वो काम कीजिए, जीवन लंबा…

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दिल्ली/पटना : जनता दल यू में चल रहे आंतरिक कलह अब तक एक तरफा था, अब यह आमने-सामने शुरू होने जा रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा, क्योंकि अभी तक ललन सिंह के निशाने पर आरसीपी सिंह थे। आरसीपी सिंह को कमजोर करने के लिए कई तरह की बातें सार्वजनिक रूप से कही गई। अब इन आरोपों पर आरसीपी सिंह ने जवाब देते हुए पार्टी के कुछ नेताओं को कड़ी नसीहत दी है।

2020 में जो जनादेश दिया है, वह 2025 तक काम करने के लिए दिया

एक टीवी चैनल से बात करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि लोग मनोरंजन करते हैं, उन्हें करने दीजिए। बिहार की जनता ने 2020 में जो जनादेश दिया है, वह 2025 तक काम करने के लिए दिया है। इसके अलावा एनडीए सरकार भी बिहार के विकास के लिए कृत संकल्पित है। अगर बिहार की जनता ने काम करने के लिए बैठाया है, तो काम करना चाहिए, किसी को दाएं-बाएं करने की जरूरत नहीं है।

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मैं ईमानदारी से करता हूं अपना काम

इसके अलावा उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा से डील फाइनल नहीं होने के सवाल पर जवाब देते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि जो काम मुझे दिया जाता है, वह मैं ईमानदारी से करता हूं। जो हमारे शुभचिंतक और समर्थक हैं उन्हें यह बात अच्छे से पता है। हां भले जो भजन-कीर्तन और कव्वाली करते हैं, उनके सोच में जरूर भिन्नता है।

धैर्य रखें, जीवन लंबा है

इसके अलावा जदयू द्वारा यूपी चुनाव को लेकर जारी स्टार प्रचारकों की सूची पर जवाब देते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि जिन लोगों का नाम है, उसमें से कितने लोगों को जानते हैं। यह सब चलता रहता है, जीवन लंबा है, धैर्य रखें। आगे क्या-क्या होता है, अभी बहुत कुछ देखना है।

मालूम हो कि जनता दल यूनाइटेड के अंदर वर्चस्व की लड़ाई तेज है, यह किसी और के बीच नहीं, बल्कि पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच की लड़ाई है। एक हैं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, तो दूसरे हैं नीतीश कुमार के भरोसेमंद और नौकरशाह से नेता बने आरसीपी सिंह। आरसीपी सिंह फिलहाल मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्रालय संभाल रहे हैं, जबकि मंत्री बनने की आकांक्षा पाले ललन सिंह न चाहते हुए भी पार्टी की बागडोर संभाले हुए हैं। वैसे, दोनो नेताओं के बीच रिश्ते में कड़वाहट तब से देखने को मिल रही है, जब आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था। तभी से वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच राजनीतिक दांव-पेंच जारी है।

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