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राजनैतिक नौटंकी, बिन मौसम बरसात, न परिवार में मांगलिक कार्य, न कोई पर्व त्योहार? फिर ब्राह्मण-दलित भोज का क्या सरोकार?

पटना : जीतन राम मांझी के ब्राह्मण दलित एकता महाभोज पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने काव्यात्मक अंदाज में कहा कि राजनैतिक नौटंकी- बिन मौसम बरसात, न परिवार में मांगलिक कार्य, ना कोई पर्व त्योहार? फिर ब्राह्मण-दलित भोज का क्या सरोकार? पहले गाली, फिर थाली! अब अपना पाप धोने के लिए ब्राह्मण खोज रहे हैं?

भगवान श्री सत्यनारायण के अवतार श्री रामचंद्र जी की अवहेलना करने वाले शायद भूल गए कि माता शबरी वर्षों तक वन में प्रभु रामचन्द्र की प्रतीक्षा करती रहीं और अंत में प्रभु राम ने माता शबरी की कुटिया में जाकर जूठे बेर स्नेह पूर्वक खाकर भक्त का मान रखा। इसलिए उन्ही श्रीराम की शरण में जाकर पश्चाताप करिये तो पूज्य माता-पिता का दिया हुआ नाम सार्थक हो जाएगा। कम से कम अपने पुण्यश्लोक माँ-पिता का तिरस्कार करने से तो बचिए।

दरअसल, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि आज कल हमारे गरीब तबके में धर्म की परायणता ज्यादा आ रही है। सत्य नारायण पूजा का नाम हम नहीं जानते थे लेकिन ‘साला’ अब हम लोगों के हर टोला में उनकी पूजा हो रही है। पंडित ‘हरामी’ आते हैं और कहते हैं कि हम खाएंगे नहीं, हमको नगद ही दे दीजिए।

मांझी के इस बयान के बाद देश के अलग-अलग जगहों पर ब्राह्मण नाराज हो गए, इसी मसले को शांत करने के लिए हम सुप्रीमो तरह-तरह के स्टंट अपना रहे हैं।