Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured पटना बिहार अपडेट बिहारी समाज राजपाट

पुष्पांजलि: पांडुलिपियों के विशेष जानकर थे पं. रामनारायण शास्त्री

पंडित रामनारायण शास्त्रीय स्मारक न्यास बगैर लोभ कर रहा सर्वोत्तम कार्य- दत्तात्रेय होसबोले

पटना : पंडित रामनारायण शास्त्री के जन्म उत्सव और पुण्यतिथि पर पंडित रामनारायण राष्ट्रीय स्मारक न्यास द्वारा दिनांक 24 जनवरी 2022 यानी सोमवार को स्मृति व पुष्पांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, सिद्धिनाथ सिंह, कवि सत्यनारायण, रमेश चंद्र सिंहा, अनिल सुलभ उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का मंच संचालन कृष्ण कांत ओझा और गौरव सुंदरम द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक सिद्धनाथ और राष्ट्रचेता कवि सत्यनारायण को सम्मानित किया गया।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए रमेश चंद्र सिन्हा ने कहा कि रामायण राम नारायण शास्त्री एक प्रख्यात समाजसेवी और राष्ट्र चिंतक होने के साथ ही साथ पांडुलिपियों के विशेष जानकारी थे। पंडित रामनारायण शास्त्री हमेशा से ही एक राष्ट्र चिंतक के रूप में जाने जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस धरा पर ऐसे बहुत ही विलक्षण लोग होते हैं जिनका जन्म और मरण और उनकी पत्नी का भी पुण्यतिथि एक ही दिन हो।

उन्होंने बताया कि रामानंद शास्त्री का सन् 1978 ई० की 24 जनवरी को स्वर्गारोहण के पश्चात् उनके प्रथम पुण्यतिथि पर उनके ज्येष्ठ पुत्र अभिजित काश्यप ने पं० रामनारायण शास्त्री स्मारक न्यास की स्थापना 1979 ई० में की गई। जिसका उद्घाटन बिहार सरकार के तत्कालीन वित्त मंत्री कैलासपति मिश्र ने किया था।

उन्होंने बताया कि इस न्यास का उद्देश्य साहित्य के लिए शोध करना है और इसका लक्ष्य शास्त्री के कामों को समाज के हर तबके तक पहुंचाना है। बताया कि पंडित रामानंद शास्त्री स्मारक न्यास द्वारा प्रत्येक वर्ष एक अखिल बिहार झारखंड भाषण लेखन प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है। जिसका उद्देश्य होता है समाज उसके पैसे तबके के लोगों को सम्मानित करना जो शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी काम किए हैं।

वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि अद्भुत संयोग की बात है कि आज इस कार्यक्रम उपस्थित होने का मौका मिला। इसका निमंत्रण विगत कई वर्षों से मिलता रहा है लेकिन समय अभाव के कारण इसमें सम्मिलित नहीं हो पाता था। उन्होंने बताया कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में सम्मिलित होने बिहार आया था और मेरी बैठक गया में होने वाली थी लेकिन किसी कारण बस वह बैठक पटना में हो गई और जब मुझे इस बात की जानकारी मिली तो तुरंत इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने की इच्छा जताई।

उन्होंने कहा कि पंडित रामनारायण शास्त्री जैसे लोग विरले ही पैदा होते हैं जिनका जन्म और मरण एक ही दिन हो। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध को वैशाखी कहा जाता था क्योंकि इनका जन्म, मरण और शिक्षा वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था। ठीक उसी तरह रामनारायण शास्त्री का जन्म, मरण और उनकी पत्नी ने भी वैकुण्ठ प्रयाण इसी दिन किया। यह कोई दैवीय योजना है।

उन्होंने कहा कि पंडित रामनारायण शास्त्री के पुत्र विशेषकर देव ऋण, पित्र ऋण और ऋषि ऋण चुका रहे हैं। हम सभी लोगों को पितृ ऋण चुकाना ही होता है वैसे तो हम श्राद्ध द्वारा पितृ ऋण चुकाते हैं लेकिन अभिजीत कश्यप सामाजिक काम कर कर इस ऋण को चुका रहे हैं। यह बहुत ही बड़ी बात है। आज समाज के होनहार लोगों को एक मंच पर लाना सही में सर्वोत्तम कार्य होता है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कोई भी काम बिना लोभ का नहीं किया जाता है लेकिन इस न्यास ने बिना कोई लोभ के अच्छे कामों को किया है। उन्होंने बताया कि इस न्यास का उद्देश्य लोगों की हर संभव मदद करनी है। यह न्यास इस विषय पर कभी नहीं सोचता कि अच्छे काम के बदले उसे क्या मिलता है जैसे सूर्य, फूल और चंद्रमा यह कभी नहीं सोचता की अच्छा काम करने क्या फायदा?

उन्होंने कहा कि यदि कोई यह सोचता है कि अच्छे काम करने के बदले उसे फायदा मिले तो सही मायने में वह काम नहीं कर रहा है बल्कि सौदा कर रहा है। सही मायने में अच्छा काम करना और वह भी बिना कोई लाभ का करना सर्वोत्तम होता है इससे श्रेष्ठ मानव जीवन में कुछ हो ही नहीं सकता। हमारे द्वारा समाज के लिए अच्छा काम हो यही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। लेकिन, वर्तमान परिवेश में अपने निजी स्वार्थ की चिंता के कारण हम संवेदनशीलता से दूर हो रहे हैं और यह न्यास उसी संवेदनशीलता को जागृत करती है।यह बहुत बड़ी बात है।

इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि उनकी पंडित रामनारायण शास्त्री से पहली मुलाकात बाल स्वयंसेवक काल में हुई थी। उस दौरान जब वह शाखा से वापस आते थे तो सुबह का अल्पाहार उनके ही घर पर होता था। उन्होंने कहा कि पंडित रामनारायण शास्त्री कहते थे कि तुम इसे अपना ही घर समझो और तुम्हें किसी प्रकार की कोई समस्या हो तो मुझसे खुलकर बताओ। उनके पुण्यतिथि और जन्मतिथि पर मुझे कुछ बोलने का मौका मिला है यह बहुत बड़े सौभाग्य की बात है।

उन्होंने बताया कि पंडित राम नारायण शास्त्री वैदिक वाङ्मय के विशिष्ट व्याख्याता होने के साथ ही बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के सर्व समादृत कर्मचेता निदेशक थे। उनके लड़कियों के पश्चात उनके पुण्यतिथि पर पंडित रामा नारायण शास्त्री स्मारक न्यास की स्थापना की गई। इसके प्रथम न्यासी उनकी पत्नी ईश्वरी देवी भी थी। जिनका निधन आज से दिन हुआ यह भी बहुत बड़ा अद्भुत संयोग है।

उन्होंने बताया कि इस न्यास में प्रतिवर्ष विद्यालय/ महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं के लिए अखिल बिहार-झारखंड हिंदी भाषण लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है और उसके छात्र-छात्राओं को नगद राशि के साथ साथ रजत पदक सहित अन्य पुरस्कार भी दिया जाता है। यह बहुत ही अद्भुत संयोग है कि 24 फरवरी 2009 को पंडित रामनारायण शास्त्री की अर्धांगिनी आर्य धर्म की प्रवाचिका, गणितशास्त्र की विशेषज्ञ ईश्वरी देवी का भी बैकुंठ प्रयाण हुआ। उनकी इस पावन स्मृति दिवस पर माध्यमिक बोर्ड से प्रथम श्रेणी में पास सर्वश्रेष्ठ गणितज्ञ छात्रा को नगद राशि रजत पदक सहित पुरस्कार हर वर्ष देने का निर्णय किया गया है।

उन्होंने बताया कि पंडित राम नारायण शास्त्री एक विप्र भूमिहार परिवार से थे जबकि उनकी पत्नी वैश्य परिवार में पैदा हुई थी। इसके उन्होंने सब कुछ जानते हुए उनसे शादी की जिसका विरोध उनके घर मोकामा में काफी देखने को मिला। पंडित रामानंद शास्त्री ने इस विरोध पर किसी से कुछ भी नहीं बाद में धीरे-धीरे जब लोगों को उनकी बातें समझ में आए तो आज मोकामा के लोग पंडित रामनारायण शास्त्री को पूजनीय मानते हैं।

वहीं, इस कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पंकज कुमार ने कहा कि पंडित रामानंद सन 2017 से शिक्षा व कला से जुड़े एक वरिष्ठ व्यक्ति को शास्त्री सम्मान प्रदान करने का संकल्प किया है विगत 5 वर्षों में संस्कार भारती के राष्ट्रीय संरक्षक योगेंद्र जी, साहित्य वाचस्पति रंजन सूरीदेव, पदमश्री अशोक भगत को यह सम्मान दिया जा चुका है। इसी कड़ी में इस वर्ष न्यास नया सम्मान कभी सतनारायण जी वो राष्ट्रीय आराध्य पुरुषार्थ मूर्ति सिद्धनाथ सिंह को देने का निर्णय किया।