बेटियों की वैवाहिक उम्र बढाने के बिल का विरोध तालिबानी मानसिकता- सुमो

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भाजपा नेता सह राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि देश की बेटियों को पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने का अधिक अवसर देने के लिए जब सरकार ने इनके विवाह की उम्र 21 वर्ष करने का बिल पेश किया, तब इस समतामूलक, प्रगतिशील और सेक्युलर प्रस्ताव का भी विरोध केवल वोट बैंक के नजरिये से किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि क्या यह संयोग है कि कांग्रेस और वामदल बिल का विरोध करने में उन ताकतों के साथ खड़े हो गए, जो पर्सनल लॉ और शरिया की मजहबी दुहाई देकर बेटियों को छोटी उम्र में शादी और बच्चे पैदा करने के बोझ तले दबाए रखना चाहते हैं? विवाह उम्र संबंधी बिल का विरोध करना तालिबानी मानसिकता से भरा हुआ है।

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सुमो ने अन्य ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को फौरी तीन तलाक की प्रताड़ना से मुक्ति दिलाने के लिए जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए कानून बनाया, तब भी विरोध करने वाले वही चेहरे थे, जो आज बेटी-बेटे की वैवाहिक उम्र में समानता लाने की वैधानिक पहल पर छाती पीट रहे हैं। कम उम्र में लड़कियों की शादी उनकी सेहत और शिक्षा पर भारी पड़ती है, लेकिन विपक्ष को बेटियों की नहीं, वोट की फिक्र है।

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