पटना : बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग तेज हो गई है। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष राज्य की मांग की, इसके बाद एक-एक करके सभी दल (भाजपा को छोड़कर) जदयू के साथ आ गए। राजद, राष्ट्रीय लोजपा के बाद अब जीतन राम मांझी की पार्टी भी इस मुद्दे पर नीतीश के साथ हो गई है।
दरअसल, वाल्मीकिनगर में आयोजित हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए जीतन राम मांझी ने नीतीश की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि बिहार जैसे पिछड़े राज्य को स्पेशल स्टेटस का दर्जा देने में देरी करना बेहद दुखदाई है।
वहीं, नीतीश को अपना सच्चा साथी बताते हुए जीतन राम मांझी ने कहा कि मैं शराबबंदी के पक्ष में हूँ, लेकिन इसमें कुछ संशोधन की आवश्यकता है। मांझी ने कहा कि गुजरात में लंबे समय से शरबबंदी कानून है, लेकिन वहां भी सीमित मात्रा में शराब मिलती है। इस आधार पर बिहार में भी यही व्यवस्था होनी चाहिए। आदिवासी और अनुसूचित जाति-जनजाति लोग देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के समय शराब चढ़ाते हैं। इसलिए इसपर विचार आवश्यक है।
बता दें कि शराबबंदी कानून में समीक्षा को लेकर जीतन राम मांझी लगातार मुखर हैं। बीते दिन उन्होंने कहा था कि बिहार में गरीब लोगों को पौवा भर शराब के लिए जेल भेजा जाता है,जबकि बड़े अफसर और तस्करों पर कार्रवाई नहीं होती है। इसलिए शराबबंदी नीति में बदलाव की जरुरत है।
जीतन राम मांझी एक साथ भाजपा और जदयू दोनों को घेर रहे हैं। विशेष राज्य के दर्जे पर भाजपा को और शराबबंदी कानून को लेकर जदयू को।
मांझी के इस तल्ख़ तेवर के पीछे सीटों का समीकरण है, जिसके कारण इनकी महत्वकांक्षा बड़ी हुई है। मांझी अभी भाजपा और जदयू से कुछ और अपेक्षा रख रहे हैं। ज्ञातव्य हो कि बिहार में एनडीए को बहुमत से केवल 5 सीट ज्यादा प्राप्त है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के 74, जदयू को 45, हम 4, वीआईपी के तीन और एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में अगर जीतन राम मांझी का मन डोलता है तो एनडीए के लिए मुश्किल हो सकता है।