शराबबंदी पर राजद की प्रतिक्रिया, कहा- जिम्मेदारी से मुक्त हुए उच्च अधिकारी

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पटना : शराबबंदी की समीक्षा के लिए सरकार द्वारा बुलायी गई उच्चस्तरीय बैठक के नतीजों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि बैठक के नतीजे को मात्र एक लाईन में व्यक्त किया जा सकता है ” खोदा पहाड़ निकली चुहिया। ”

राजद प्रवक्ता ने कहा कि घंटों चली मैराथन बैठक में उन्हीं बातों की पुनरावृत्ति की गई है, जिनकी चर्चा पहले हुए समीक्षा बैठकों में की जाती थी। हाँ, इस बैठक की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि शराबबंदी मामले में बड़े अघिकारियों को अपरोक्ष रूप से जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। जबकि पिछले बार हुए समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री द्वारा सम्बद्ध डीएम और एसपी के खिलाफ कार्रवाई करने की घोषणा की गई थी। हालांकि, अभी तक किसी डीएम और एसपी अथवा किसी उच्चस्थ पदाधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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राजद नेता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा सरकार से जो सवाल किया गया था। उसका कोई जवाब सरकार की ओर से नहीं दिया गया। स्पष्ट है कि शराबबंदी को लेकर सरकार नीति तो बनाती है पर उसका नियत साफ नहीं है। इसलिए उस पर अमल नहीं होता। बगैर नीयत के नीति बनाने और मैराथन बैठक का कोई मायने नहीं है। यह केवल ढकोसला है।

ज्ञातव्य हो कि बीते दिन मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा था कि शराबबंदी के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। जिन्हें जिम्मेदारी दी गई है वे पूरी मुस्तैदी एवं मनोयोग के साथ काम करें। न राज्य में शराब आने देंगे और न किसी को शराब पीने देंगे, इसी मानसिकता के साथ काम करें। जो भी सरकारी अधिकारी, कर्मी गड़बड़ी करते हैं उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई करें।

सीएम ने कहा था कि शराब के धंधे एवं शराब के सेवन में लिप्त किसी भी व्यक्ति पर कठोरता के साथ कार्रवाई करें। पटना राजधानी है यहां विशेष सतर्कता बरतें। कॉल सेंटर में कॉल करने वाले लोगों की गोपनीयता बरकरार रखें और इसका बेहतर ढंग से क्रियान्वयन करें। शिकायतकर्ता की संतुष्टि और शिकायतों के निष्पादन के संबंध में पूरी तरह से एक्टिव रहें ।

बॉर्डर एरिया में शराब सप्लाई के रुट्स को चिन्हित कर लगातार छापेमारी करें। ए०डी०जी० / आई०जी० / डी०आई०जी० स्तर के पदाधिकारी नियमित रूप से क्षेत्र भ्रमण करें और निचले स्तर तक क्रियान्वयन का जायजा लें। 15 दिन में जिलाधिकारी एवं वरीय पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक, उत्पाद अधीक्षक एवं विशेष लोक अभियोजक एक बार साथ बैठक कर शराबबंदी के क्रियान्वयन के संबंध में समीक्षा करें।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि जिलों के प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव महीने में एक बार जिलों के विकास कार्यों की समीक्षा करने के साथ-साथ शराबबंदी के क्रियान्वयन की भी समीक्षा करें। सभी थानों में चौकीदारों पर विशेष नजर रखें और उन्हें गांव में गड़बड़ी करने वालों के संबंध में पूरी सूचना देने को कहें। जिन थाना प्रभारियों के कार्य में शिथिलता पायी गई हैं उन्हें 10 वर्षों तक थाना प्रभारी नहीं बनाए जाने का निर्णय लिया गया था, इस पर पूरी सख्ती से अमल करें।

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