दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) / वन बल प्रमुख (एचओएफएफ) के सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में ग्लोसगो में जलवायु परिवर्तन कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीस चल रही है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व को ‘पंचामृत’ के सिद्धान्त से क्लाइमेट चेज़ से निपटने का मंत्र दिया है। इसी पंचामृत से पंचतत्व की रक्षा होगी। वन हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने मे भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। वन कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता रखते हैं। इसलिए विश्व मे बढ़ते कार्बन की मात्र के दृष्टिगत इनका संरक्षित रहना और बढ़ाना बहुत जरूरी है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्थानीय और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए समाधान और नवीन विचारों के साथ आने के लिए विभिन्न वानिकी और वन्यजीव मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया है। इस सम्मेलन का दूसरा भाग 15 नवंबर, 2021 को आयोजित किया जाएगा।
इस सम्मेलन में विभिन्न महत्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दे जैसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के अंतर्गत वन परिवर्तन के मामलों के अनुमोदन को सुव्यवस्थित करना, वनों के बाहर वृक्षों की संख्या को बढ़ाना (टीओएफ) और वृक्ष लगाने वालों की आय में वृद्धि, नगर वन योजना का कार्यान्वयन और हमारे शहरी और उप-शहरी परिदृश्य को हरा-भरा करना, नदियों के कायाकल्प और उन्हें पुनर्जीवित करने में मदद करने, वन कर्मचारियों की क्षमता निर्माण और उन्हें बेहतरीन प्रचालन उपकरणों से सुसज्जित करने और कटाई और पारगमन परमिट के लिए नियामक ढांचे को सक्षम करने आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन का उद्देश्य उन सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विचार-विमर्श करना है जो ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ यानी व्यापार करने में सुगमता, ‘लोगों को परती भूमि पर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना’ और ‘वन बल की कार्य परिस्थितियों को चुनौतियों के अनुकूल बनाने’ के लिए आवश्यक हैं। मंत्रालय वनीकरण, वन उत्पादन, वन्यजीव प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्रों में राज्य सरकारों द्वारा की जा रही अच्छी प्रथाओं और नवीन पहलों का लाभ उठाएगा।