पटना : बिहार में हो रहे त्रिस्तरीय चुनाव को लेकर जहाँ सरकार अपने तरीके से नए-नए कानून का ईजाद कर रही है और कर भी चुकी है। वहीं, लोग भी तिकड़म लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लोग कहा करते हैं कि जंग और प्यार में सब जायज है लेकिन यहाँ यह बात सत्ता के लिए सटीक बैठ रहा है।
63 वर्षीय बुजुर्ग 34 वर्षीय दलित महिला
तजा मामला है, अररिया के सिकटी प्रखंड के पड़रिया पंचायत का, जहाँ एक 63 साल के बुजुर्ग मो० जैनुद्दीन ने मुखिया पति बनने की चाह में 34 वर्षीय दलित महिला से निकाह कर उसे चुनावी मैदान में उतारे हैं। जो कि खुद भी पंचायत समिति सदस्य रह चुके हैं।
63 साल का पोता-पोती, नाती-नतिनी वाला बुजुर्ग दुल्हा 34 की दुल्हन
जिले में आरक्षित सीट होने की वजह से आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर 63 साल का बुजुर्ग मो० जैनुद्दीन ने 34 वर्ष की एक अत्यंत पिछड़ा महिला साहिरा खातून से निकाह कर मैदान में उतारा है। यह निकाह इसी वर्ष फरवरी में किया गया। जबकि मो० जैनुद्दीन को पहले से ही 3 (तीन) बेटा, 4 (चार) बेटी 9 (नौ) पोता-पोती और 6 (छः) नाती-नतिनी है। उनकी पहली पत्नी भी साथ रहती है। बताया जा रहा है कि यह साहिरा (34) की पहली शादी है।
पंचायत समिति सदस्य को मुखिया पति होने की लालसा
मो० जैनुद्दीन ने कहा कि मैं पहले भी पंचायत समिति सदस्य रह चुका हूँ। लेकिन पड़रिया सीट अति पिछड़ा महिला के लिए आरक्षित होने की वजह से मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को चुनाव नहीं लड़ पाने की वजह से मेरे पास कोई विकल्प नहीं था। इसलिए मैंने अति पिछड़ा महिला से निकाह किया और उसे चुनावी मैदान में उतारा।
64 का पूर्व मुखिया 38 की नसीमा
ऐसा मामला पिछली बार भी पड़रिया पंचायत का मुखिया पद आरक्षित हो जाने की वजह से 64 वर्षीय तात्कालिक मुखिया मो० ताहिर ने मुखिया पद के लिए एक अत्यंत पिछड़ी जाती के महिला, 38 की नसीमा खातून से निकाह कर 2016 के चुनावी मैदान में उतारा था और उसके साथ शर्त रखा गया था कि जीतने पर उसे पत्नी स्वीकार जाएगा, नहीं तो हारने पर सिर्फ 5 बीघा जमीन उसके नाम कर अलग कर दिया जायेगा। नसीमा खातून लगभग 1900 मतों से जीतीं और आज पत्नी बनकर रह रहीं हैं।