प्रशासन ने बताई भाजपा कोटे से नीतीश सरकार में शामिल मंत्री को हैसियत, विस अध्यक्ष ने दिए जांच के आदेश

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पटना : विधानसभा का शीतकालीन सत्र जनहित के कार्यों से कम माननीय द्वारा कृत्य और माननीयों के प्रति कृत्य को लेकर ज्यादा चर्चे में है। ताजा मामला भाजपा कोटे से नीतीश सरकार में शामिल कैबिनेट मंत्री जीवेश मिश्रा से जुड़ा है। बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा का कहना है कि पटना के एसपी और डीएम की वजह से उनकी गाड़ी को विधानसभा में आने से रोका गया।

दरअसल, बिहार विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही जारी थी। इस दौरान सदन में विलंब से पहुंचे बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री जीवेश मिश्रा अपने सीट पर खड़े होकर विधानसभा अध्यक्ष से खुद के लिए संरक्षण मांगा। अध्यक्ष के माध्यम से सदन को बताते हुए जीवेश मिश्रा ने कहा कि प्रश्नोत्तर काल में मैं इसलिए विलंब से पहुंचा, क्योंकि पटना के डीएम और एसएसपी अपना काफिला अंदर कराने के लिए हमारी गाड़ी को बाहर रुकवा दिया।

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विधानसभा में मंत्री ने कहा कि जब तक पटना के डीएम और एसएसपी पर कार्रवाई नहीं हो जाती है, तब तक हुए सदन में नहीं बैठेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अधिकारियों के सामने जनप्रतिनिधियों का और मंत्रियों का थोड़ा भी सम्मान नहीं किया जा रहा है, ऐसे में किसी पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। जीवेश मिश्रा ने कहा कि आसन यह तय करे कि डीएम बड़ा, एसपी बड़ा, जनप्रतिनिधि या सरकार बड़ा, चारों में से कौन सबसे बड़ा है। सत्ता पक्ष के नेताओं इस मामले को विपक्ष ने हाथों-हाथ लपका और सदन में हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद पक्ष और विपक्ष के अधिकांश विधायक एक साथ खड़े होकर हंगामा करना शुरू कर दिया।

इस मसले पर राजद के विधायक आलोक मेहता ने कहा कि मामले की जांच हो और सिपाही पर कार्रवाई के बदले जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो। डीएम-एसपी पर कार्रवाई होगा, तभी एक सकारात्मक संदेश पूरे बिहार में जाएगा। अन्यथा अफसरशाही हावी होने का एक और प्रमाण मिलेगा। वहीं संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेशानुसार जांच होगी और उसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

मामले की गम्भीरता को देखते हुई3 सुरक्षा प्रभारी और ट्रैफिक पुलिस को बुलाया गया है। सचिवालय के प्रभारी डीएसपी मामले की जांच करेंगे।

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