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संसाधनयुक्त प्रदेशों से नीति आयोग द्वारा बिहार की तुलना नाइंसाफी- ललन सिंह

पटना : हाल ही में नीति आयोग द्वारा भारत के राज्यों का Poverty Index जारी किया है, जिसमें बिहार ने टॉप किया है। यानी गरीबी में अपना बिहार नंबर वन है। इसको लेकर सियासत तेज है, विपक्ष द्वारा यह कहा जा रहा है कि बीते 16 वर्षों से बिहार में डबल इंजन की सरकार है, बावजूद इसके बिहार की स्थिति इतनी दयनीय है।

सत्तापक्ष इसको लेकर अलग-अलग दावे कर रही है, एक तरफ भाजपा के नेता कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। दूसरी तरफ जदयू के कुछ नेता इस रिपोर्ट को गलत बता रहे हैं। वहीं, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इस रिपोर्ट को लेकर कहा कि विभाजन के बाद बिहार में सिर्फ़ बालू, आलू और लालू ही बचे थे। खजाने लूट चुके थे, व्यवस्थाएं चौपट थी! भौगोलिक स्थिति के कारण हर वर्ष आपदाओं का कहर भी है! ऐसे में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल व गोआ जैसे संसाधनयुक्त प्रदेशों से नीति आयोग द्वारा बिहार की तुलना नाइंसाफी है।

वाकई में नीति आयोग ईमानदारी से बिहार में सुशासन के 15 साल में हुए विकास की तुलना करना चाहता है तो 1990-2005 के जंगलराज से तुलना करे, वर्तमान बिहार का विकास दर देशभर में सबसे ज्यादा ही मिलेगा। युवाओं को बड़े-बुजुर्गों से लालू काल की रूह कंपाने वाली कहानियां सुननी चाहिए।

ज्ञातव्य हो कि नीति आयोग के रिपोर्ट में यह कहा गया है कि राज्य के कई जिले ऐसे हैं जो बेहद गरीबी से जूझ रहे हैं। यहां आधी से अधिक आबादी (51.91%) गरीब है। इस मामले में झारखंड देश में दूसरे नंबर पर है। यहां 42.16% प्रतिशत गरीब हैं तो तीसरे नंबर पर यूपी में 36.65% गरीब रहते हैं।

11 जिलों में 60 फीसदी गरीब, पटना richest

रिपोर्ट के अनुसार बिहार के कई जिलों में अधिकतर आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। किशनगंज बिहार का सबसे गरीब जिला है जबकि राज्य के 11 जिले ऐसे हैं जहां गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या सबसे अधिक है। दूसरी तरफ राज्य की राजधानी पटना में सबसे अधिक अमीर रहते हैं। मुजफ्फरपुर, गया और भागलपुर भी ऐसे जिले हैं जहां अमीरों की ठीक-ठाक संख्या है। आयोग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के पांच जिलों में 60 फीसदी लोग अमीर वर्ग के हैं। जबकि 11 जिलों में 60 फीसदी से ज्यादा लोग गरीब वर्ग के हैं।

किशनगंज-मधेपुरा जिले सबसे गरीब

नीति आयोग की इस रिपोर्ट से पता चला है कि बिहार के 38 जिलों में से किशनगंज सबसे गरीब जिला है। यहां गरीबी रेखा से नीचे 64.75% लोग हैं। इसके बाद अररिया 64.65%, मधेपुरा 64.43%, पूर्वी चंपारण 64.13%, सुपौल 64.10%, जमुई 64.01%, सीतामढ़ी 63.46%, पूर्णिया 63.29%, कटिहार 62.80%, सहरसा 61.48% और शिवहर 60.30% के साथ संघर्ष कर रहा है।