करीब से राजनीति की दुनिया दिखाना चाहती है ‘महारानी’, दूसरे सीजन में दिखाई जाएगी ठेठ राजनीति

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महारानी बनाने का उद्देश्य दर्शकों को राजनीति की दुनिया करीब से दिखाना है। हमें राजनेताओं का घिसा-पिटा चित्रण देखने की आदत है, इसे बदलना चाहते थे, राजनीति के भीतर की दुनिया को दिखाना चाहते थे। हमें कभी राजनेताओं की उनकी अपनी कहानी देखने को नहीं मिलती। उक्त बातें वेब-सीरीज तथा बिहार की पृष्ठभूमि में बनाये गये राजनीतिक नाटक के लेखकद्वय नन्दन सिंह और उमा शंकर सिंह ने इफ्फी 52 के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान कही।

सीजन-2 से क्या उम्मीद की जा सकती है? इस सवाल का जवाब देते हुए लेखक ने कहा कि “धारावाहिक के दूसरे सीजन में ठेठ राजनीति दिखाई जायेगी। रानी भारती अब नौसिखिया नहीं रही और वह अब राजनीति के बारूद भरे मैदान में चल रही है। इसलिये लोगों को यह देखने को मिलेगा कि मुख्य पात्र रानी भारती के पास क्या-क्या कठिन विकल्प हैं।”

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धारावाहिक में कैसे बिहार की सटीक राजनीतिक और सामाजिक सच्चाई पेश की गई है, कहानी किस इलाके की है? इस पर उमा शंकर सिंह जवाब देते हैं, “हमने अपनी कहानी का आधार हकीकत को बनाया है और उसमें अपनी सूचनाओं को डाला है। हमने कोशिश की है कि हर चीज ऐसी हो जैसे की किसी मनुष्य के लिये होती है, जैसे राजनेताओं की साजिशें, उनका खौफ।”

गहरे शोध और कहानी में उस शोध के नतीजों के समावेश पर नन्दन सिंह कहते हैं, “हम दोनों बिहार से आते हैं। इसलिये प्रदेश के बारे में, वहां की राजनीति के बारे में हम पहले से ही बहुत सी चीजें जानते थे। बहरहाल, धारावाहिक के लिये अपने शोध के दौरान, हमें एहसास हुआ कि हम कितना कम जानते हैं। इसे कहानी में बुनते वक्त, हमने कोशिश की हमारे शोध का सारा ताना-बाना कहानी में बुन जाये।” नन्दन सिंह ने यह भी कहा कि महारानी राजनीतिक रूप से संवेदनशील धारावाहिक है और उन्होंने पूरी कोशिश की है कि इससे किसी की भावनायें आहत न हों।

फिल्मों से हटकर ओटीटी प्लेटफार्मों के लिखना कितना अलग है? इस पर नन्दन सिंह ने कहा ओटीटी के लिये लिखना, उपन्यास लिखने जैसा है। फिल्मों के लिखते वक्त, हमें कई चीजों का खयाल रखना पड़ता है, जिसके आर्थिक नतीजे हो सकते हैं, लेकिन ओटीटी के लिखना उपन्यास लिखने जैसा है। आप विषय के भीतर छोटे विषयों और अन्य चरित्रों के साथ भी न्याय कर सकते हैं। इस व्यवस्था में ओटीटी में कारोबारी दबाव अन्य जगहों से कम है। इसलिये वहां आजादी का एहसास होता है।

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