पटना : सरकार इस तैयारी में जुट चुकी है कि जिले के सैकड़ों सरकारी विद्यालयों के अस्तित्व को खत्म किया जाया। जिसके लिए सरकार ने कमर कस ली है और सभी जिलों के विद्यालयों से रिपोर्ट भी मंगाई है, जिसमें कुछ जिले के आया है और कुछ के अभी बाकी है। यह वैसे विद्यालय हैं जिनका खुद का अपना भवन नहीं है।इसलिए किसी गैर परिसर में इसका संचालन किया जा रहा है।
बिना भवन वाले विद्यालयों का विलय मूल विद्यालय में किया जाएगा
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदेश में एक ही भवन में चल रहे एक से अधिक विद्यालयों का विलय अब मूल विद्यालय में कर दिया जाएगा। ऐसा करने से जहां ज्यादा शिक्षक होंगे, उन्हें जरूरत वाले विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा। इस फैसले पर शिक्षा विभाग ने भी अमल करना शुरू कर दिया है।
अमरेंद्र प्रताप ने कई जिलों से मांगी संबंधित जानकारी
प्राथमिक शिक्षा निदेशक अमरेंद्र प्रसाद ने एक ही भवन में एक से अधिक चल रहे विद्यालयों के सम्बंध में 18 जिलों से जानकारी मांगी थी। सोमवार को संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भी लिखा था और सप्ताह भर में जानकारी देने को कहा।
कुछ के आए कुछ अभी बाकी
वैसे अभी तक 20 जिलों से इसके संबंध में रिपोर्ट आ भी गई है। लेकिन अभी अररिया, अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, गोपालगंज, कैमूर, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, सारण, शिवहर, सिवान और वैशाली से रिपोर्ट नहीं मिली है।
एक ही परिसर में चल रहे हैं कई विद्यालय
ऐसे देखा गया है कि बिहार के प्राय: हर जिले में ऐसे स्कूल हैं, जिनका एक ही परिसर में कई विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। खासकर शहरी क्षेत्र के विद्यालय में ऐसी दिक्कतें और भी अधिक है। कहीं कहीं तो ऐसा भी है कि एक स्कूल के भवन में चार से पांच तक विद्यालयों का संचालन हो रहा है।
शिक्षकों की आपूर्ति होगी पूरी
सरकार ने ऐसे स्कूलों को भवन और जमीन उपलब्ध कराने की काफी कोशिश की। इसके बावजूद भी मसला नहीं सुलझने पर यह तय किया गया कि एक भवन में चलने वाले सभी स्कूलों को आपस में मर्ज कर दिया जाए। इससे प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक के पद घटेंगे। और जहां शिक्षाओं की आवश्यकता होगी वहां भेजा जा सकेगा।