पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि शिक्षा और शिक्षकों के प्रति सरकार की मंशा ठीक नहीं है। वह नहीं चाहती है कि गरीब के बच्चे पढें। सरकारी विद्यालयों में ज्यादातर गरीब के ही बच्चे पढ़ते हैं और जब विद्यालयों में शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो बच्चों को पढायेगा कौन?
उन्होंने कहा कि सरकार के गलत मंसूबों की वजह से विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को भी मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। महीनों-महीनों तक वेतन नहीं मिलता है। अगस्त 2020 में घोषणा किया गया कि वेतन में अप्रैल 2021 से 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, अक्टूबर बीत रहा है पर अभी तक लागू नहीं किया गया। स्थानांतरण की प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया गया कि अभी तक एक भी शिक्षक इसका लाभ नहीं ले सका।
गगन ने कहा कि पिछले बारह साल से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही है और इसे लटकाने के नीत नये बहाने तलाशे जा रहे हैं। अभी बिहार चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता का हवाला देकर नियुक्ति प्रक्रिया पर दिसम्बर 2021 तक रोक लगा दी गई है। इसके बाद स्थानीय निकाय से विधान परिषद सदस्यों की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जायेगी और उसके बाद नगर निकायों का चुनाव आ जायेगा।
राजद नेता ने आरोप लगाया है कि सरकार जानबूझकर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं करना चाह रही है। पहले न्यायालय के नाम पर लटका रहा पर अब तो न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना हो रही है। 4 मार्च 2021 को मा॰ उच्च न्यायालय ने माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों को शीघ्र नियुक्त करने का आदेश दिया था पर सरकार प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक नियुक्ति में दिव्यांग अभ्यर्थियों के आरक्षण से सम्बन्धित एक दूसरे केस का हवाला देकर बहाली को लटकाए रखा। इस केस में भी 3 जून 2021 को ही मा॰ उच्च न्यायालय ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों को शीघ्र नियुक्त करने का आदेश दिया।
न्यायालय के आदेश के बाद सरकार द्वारा जो शेड्यूल जारी किया गया उसके अनुसार 12 अगस्त तक मेघा सूची का अन्तिम प्रकाशन कर देना था और शिक्षा मंत्री द्वारा भी यह घोषणा किया गया था कि सभी नवनियुक्त शिक्षक 15 अगस्त को अपने विद्यालयों में झंडोतोलन करेंगे। सबसे हास्यास्पद तो यह है कि शिक्षक बहाली को लेकर शिक्षा मंत्री का बयान लगातार बदलता रहा है।
राजद नेता ने कहा कि शिक्षक बहाली के प्रति सरकार की उपेक्षा का ही उदाहरण है कि पंचायत चुनाव को लेकर 24 अगस्त को ही बिहार में आचार संहिता लग गया था और उसके 42 दिन के बाद 5 अक्टूबर को चुनाव आयोग को पत्र भेजकर शिक्षक बहाली के सम्बन्ध में अनुमति मांगी जा रही है।
सरकार की मंशा यदि ठीक रहता तो परामर्श समिति से पंचायत प्रतिनिधि को हटाकर बहाली प्रक्रिया जारी रखा जा सकता है चुकी परामर्श समिति में पंचायत प्रतिनिधि मनोनीत हैं, पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही उनकी वैधानिक मान्यता स्वतः समाप्त हो चुका है। पर सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि वह नही चाहती कि गरीब के बच्चे पढें।