नीतीश से तनातनी के बीच आरसीपी के टीम में चिराग, अब क्या करेगी ललन के नेतृत्व वाली नीतीश की जदयू
पटना : चिराग पासवान के नीतीश कुमार व उनकी पार्टी जदयू के साथ तल्ख रिश्तों के बावजूद आरसीपी सिंह ने चिराग को अहमियत देनी शुरू कर दी है। दरअसल, केन्द्रीय इस्पात मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया गया, जिसमें चिराग पासवान समेत कई नए चेहरों को शामिल किया गया है। घोर विरोधी होने के बावजूद आरसीपी के मंत्रालय से जुड़ी समिति में चिराग को जगह मिलने से राजनीतिक गलियारों में आरसीपी व नीतीश के रिश्तों की चर्चाएं शुरू हो गई है।
मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा लोकसभा से नामित सांसद संजय सेठ (झारखंड) एवं सुनील कुमार सोनी (छत्तीसगढ़), जबकि राज्यसभा से दिनेशचंद्र जेमलभाई अनावाडिया (गुजरात) और नरेश गुजराल (पंजाब) को समिति में सदस्य बनाया गया है। वहीं संसदीय राजभाषा समिति द्वारा नामित सांसद चिराग पासवान और दिनेश चंद्र यादव सदस्य हैं।
इस समिति में इस्पात मंत्रालय द्वारा विधान पार्षद डॉ. रामवचन राय (बिहार), जदयू नेता डॉ. अमरदीप, डॉ. रिंकू कुमारी (नई दिल्ली) एवं सुधीर कुमार (मध्य प्रदेश) को सदस्य मनोनीत किया गया है। केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद के प्रतिनिधि के तौर पर गोपाल कृष्ण फरलिया (नई दिल्ली) और महेश बंशीधर अग्रवाल (महाराष्ट्र) समिति में सदस्य बनाए गए हैं।
आरसीपी के मंत्रालय में बिहार से जो भी नेता हैं। वे आरसीपी गुट के हैं, ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यह सभी नेता उपेक्षित महसूस कर रहे थे। ऐसे में आरसीपी को मौका मिलते हैं अपने सभी पसंदीदा लोगों को कहीं ना कहीं शिफ्ट कर रहे हैं।
वहीं, चिराग को समिति में सदस्य नियुक्त होने को लेकर कहा जा रहा है कि केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी और नीतीश कुमार के बीच अच्छे संबंध सार्वजनिक रूप से नहीं देखे जा रहे हैं। जदयू में दो गुट काम कर रहा है एक ललन सिंह के नेतृत्व में नीतीश के लिए तो दूसरा गुट आरसीपी के लिए।
वैसे भी ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह को जदयू में हाशिए पर लाने का प्रयास जारी है। ऐसे में अब आरसीपी सिंह भी नीतीश के कट्टर राजनीतिक दुश्मन चिराग को अपने मंत्रालय में जगह देकर नीतीश को राजनीतिक संदेश देना चाह रहे हैं।