फलों की खेती कर किसानों के आइकन बन रहे चंपारण के युवा किसान शिशिर, यूपी के किसान आकर ले रहे प्रशिक्षण

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जिला उद्यान विभाग के सहायक निदेशक ने बागवानी का निरीक्षण कर लाल आंवला का पौधरोपण किया, दिए कई टिप्स

चंपारण : चंपारण के किसानों ने अब गन्ना फसलों के नुकसान और चीनी मिलों के गन्ना मूल्य भुगतान में उदासीन रवैए को देखकर अब विकल्प के रूप में नकदी फलों की फसल उत्पादन की ओर रुख कर लिया है। जिसके कारण अब किसानों की आमदनी गन्ना से भी दो गुणी होने लगी है। फलों की खेती कर आमद बढ़ाने की बात को सच कर दिखाया है पश्चिम चंपारण जिला के रामनगर प्रखंड स्थित चुड़िहरवा गांव के किसान शिशिर दूबे ने। युवा किसान शिशिर दूबे अब चंपारण के साथ साथ अन्य जिलों के किसानों के आइकन बन गए हैं। जिनके पास अन्य जिलों और यूपी के किसान भी पहुंच कर फलों की खेती का प्रशिक्षण ले रहे हैं।

वे करीब एक साल से अधिक समय से फलों की खेती बागवानी कर उम्मीद से अधिक आय उपार्जन कर रहे हैं। उनकी खेती बागवानी की चर्चा हर जगह होने लगी है। नतीजतन जिला कृषि विभाग के साथ साथ जिला उद्यान विभाग भी उन्हें मदद में आगे आ गया है। इसी क्रम में आज जिला उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विवेक भारती एवं नौतन प्रखंड के उद्यान पदाधिकारी ने चुड़िहरवा गांव स्थित शिशिर दूबे की फलों की खेती बागवानी का निरीक्षण कर हैरान भी हुए और संतोष भी जताया। साथ ही किसान को प्रोत्साहित करते हुए उनके खेतों में लाल आंवला का पौधरोपण कराते हुए हर स्तर से विभागीय मदद करने का भरोसा दिया।

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किसान दूबे ने बताया कि हमने साढ़े सात एकड़ में इंटर क्राप केले का पौधा लगाया है। उसी में संतरा, थाई गुअवा, हरिमन 99 सेव, अन्ना सेव, थाई एप्पल बेर और कश्मीरी एप्पल बेर लगाया है। जिसके उत्पादन से गन्ना की खेती से भी दो गुणा अधिक आमद होने की संभावना है। कृषि विभाग की मदद से मैंने पपीता की भी खेती की है। केला नकदी फसल है। इससे आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है। अक्टूबर व नवंबर माह जब किसानों की आर्थिक तंगी का समय होता है तब केला उत्पादन से आर्थिक लाभ होता है। जिला उद्यान विभाग के अधिकारी ने भी आज पौधे के रखरखाव की जानकारी देते हुए विभागीय मदद करने का आश्वासन दिया है।

राजन द्विवेदी

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