फेक न्यूज़ समाज के लिए बड़ी चुनौती : डॉ. मनीषा
पटना : 21वीं सदी डिजिटल युग के लिए जाना जा रहा है, जहां सूचनाओं की बाढ़ है। इसमें सही सूचना का पहुंच पाना कठिन हो गया है। यही पोस्ट—ट्रूथ की स्थिति है। उक्त बातें आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन के निदेशक डॉ. इफ्तेखार अहमद ने कहीं। वे सोमवार को पटना कॉलेज के स्नातक जनसंचार विभाग में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।
डॉ. अहमद ने इसरायली इतिहासकार युवल नोवा हरारी को उद्धृत करते हुए पोस्ट-ट्रूथ के ऐतिहासिक व वर्तमान परिप्रेक्ष्य की चर्चा की। साथ ही उन्होंने पत्रकारों को सत्ताधारी शक्तियों द्वारा नियंत्रित करने के कृत्यों के भी उदाहरण दिए। उन्होंने भारत में तेजी से बढ़ रहे मीडिया व मनोरंजन उद्योग पर प्रकाश डाला और इसमें क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले अवसरों के बारे में विद्यार्थियों को बताया।
इस अवसर पर आर्यभट ज्ञान विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्यूनिकेशन की समन्वयक डॉ. मनीषा प्रकाश ने फेक न्यूज़ के बढ़ते प्रभाव पर पीपीटी के माध्यम से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना पैनडेमिक की तर्ज पर ही आजकल इन्फोडेमिक शब्द चर्चा में है। इन्फॉर्मेशन शब्द के साथ—साथ मिसइन्फॉर्मेशन और डिसइन्फॉर्मेशन शब्द भी चर्चा में है। फेक न्यूज़ को सत्यापित करना आज के पत्रकारों की जिम्मेदारी है।
इससे पूर्व पटना कॉलेज के स्नातक जनसंचार विभाग की समन्वयक डॉ. कुमारी विभा ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि मीडिया क्षेत्र के गुणीजनों को सुनने से छात्र-छात्राओं की दृष्टि व्यापक होगी। इस अवसर पर पटना विवि में एमजेएमसी के निदेशक प्रो. तरुण कुमार, हिंदी विभाग के डॉ. मार्तंड प्रगल्भ, बीएमसी के शिक्षक डॉ. गौतम कुमार, प्रशांत रवि, मुद्दसिर सिद्दीकी, रवि राजन, रचना सिंह, प्रशांत रंजन समेत जनसंचार विभाग के विभन्न सेमेस्टर के विद्यार्थी उपस्थित थे।