हिंदुत्व के महत्व को खत्म करने के लिए हिंदु में इज्म जोड़ा गया- जे नंद कुमार

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हिंदुत्व के महत्व को खत्म करने के लिए हिंदु में  इज्म जोड़ा गया, लेकिन अब वही शर्ट के ऊपर जनेऊ पहनकर बन रहे हिन्दू

पटना : सोमवार को बिहार विधान परिषद के सभागार में प्रसिद्ध पत्रकार, विचारक व प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे नंदकुमार की पुस्तक बदलते दौर में हिंदुत्व के विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विधान परिषद के कार्यकारी सभापति श्री अवधेश नारायण सिंह, बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद, आईसीपीआर के अध्यक्ष आर सी सिन्हा, बिहार लोक सेवा आयोग की सदस्य प्रो दीप्ति कुमारी, प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष सिंह समेत कई गणमान्य उपस्थित रहे।

बदलते दौर में हिन्दुत्व पुस्तक के लेखक जे नंद कुमार ने कहा कि हिंदुत्व का विचार अखंड भारत की एक सामाजिक राजनीतिक और सांस्कृतिक आवाज है जो देश की धार्मिक परंपराओं को दर्शाता है। हिंदू धर्म में हमेशा सामाजिक धर्म और शासन की भूमिका को प्रमुखता दी है हम भारत के सबसे पुराने साहित्य में इसे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। भारत के सन्यासी, ऋषि-मुनि ने अपने परिवार या समाज का कल्याण नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का कार्य किया। विवेकानंद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सेवाधर्म को सशक्त कीजिये, तभी राष्ट्र सशक्त हो सकता है।

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पंडित नेहरू को लेकर उन्होंने कहा कि नेहरू कहा करते थे कि मैं जन्म से क्रिश्चियन हूँ, संस्कार से मुस्लिम लेकिन अचानक यानी ऐक्सीडेंटली हिन्दू बन गया। हिंदु में इज्म जोड़कर हिंदुत्व के महत्व को खत्म करने का प्रयास किया गया। नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता असुरक्षा, बेईमानी और कमजोरी से पैदा हुई थी इसका मुख्य उद्देश्य हिंदुओं को विभाजित रखना और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने के लिए समर्थन देना था। लेकिन आज समय बदल चुका है, आज वही लोग यानी उनकी पीढ़ी के लोग अपने आप को हिंदुत्व साबित करने के लिए शर्ट के ऊपर जनेऊ पहन कर मंदिर घूमते हैं। समाज को शिक्षित होने के साथ ही उनका जो षड्यंत्र था, उसका पर्दाफाश होने लगा।

नंद कुमार ने कहा कि टेक्नोलॉजी बनाम लोकतंत्र के बीच लड़ाई शुरू हो गई है। रक्षाबंधन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चीन या अन्य देशों में कुछ बुद्धिजीवी यह तय करते हैं कि पटना के अमुख व्यक्ति किस तरह का राखी पहनेंगे। यह टेक्नोलॉजी आज के समय में लोगों के विचार पर भारी पड़ रहा है। उन्होंने गांधी जी के विचार को कोट करते हुए कहा कि दुनियाभर की संस्कृति का हम स्वागत करेंगे, लेकिन कोई तूफान बनकर तबाही मचाये, ऐसा स्वीकार्य भी नहीं होगा।

जे नंद कुमार जी ने कहा कि भारत में आज मार्क्सवाद सबसे अधिक केरल में छाया हुआ है, जहां कम्युनिस्ट पार्टी राज्य में शासन कर रही है। इसकी हिंदू विरोधी और तानाशाही प्रवृत्ति सबरीमाला मंदिर मामले में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जहां कम्युनिस्ट शासित सरकार ने हिंदुओं के दमन के लिए पुलिस और सैन्य बल का इस्तेमाल किया और प्रशासनिक स्तर पर हिंदू मंदिरों के संचालन में हस्तक्षेप किया। वहीं, ममता बनर्जी के शासन में पश्चिम बंगाल में हिंदू आवाज को दबाने के लिए वामपंथी एजेंडे को जारी रखा है। हालांकि, उनके शासन को राष्ट्रीय चुनाव में चुनौती मिली थी।

नंदकुमार जी ने कहा कि जब हम अर्थव्यवस्था के बारे में विचार करते हैं तब नागरिकों के साथ एक राष्ट्रवादी परिदृश्य के उभार के बारे में बात करना जरूरी हो जाता है। क्योंकि राष्ट्रीय गौरव के बिना कोई देश प्रगति नहीं कर सकता और आरएसएस अपने विभिन्न संगठनों के जरिए उसी राष्ट्रीय गौरव या श्रद्धा को फिर से जगाने का काम कर रहा है।

बदलते दौर में हिंदुत्व विषय पर अपने विचार रखते हुए बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि आज के समय में धर्म को लेकर दो अवधारणायें प्रचारित की जा रही है। या तो साम्प्रदायिक या तो सेस्क्युलर। लेकिन हमलोग बस यह जानते हैं कि धर्म बस एक है और वह सनातन है। जब तक धरती रहेगी, तब तक कोई हिंदुत्व को मिटा नहीं सकता।

वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि हिंदुत्व से ही राष्ट्र है। सभी धर्म में मुख्यतः एक या दो ग्रंथ मानी जाती है। लेकिन, हिंदू के दृष्टिकोण में कई पंथ, संप्रदाय हैं। हिन्दू कोई वाद नहीं है, यह एक जीवन दर्शन है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का तात्पर्य राष्ट्रवादी परंपरा के साथ भारतीय चिंतन स्वर से है, जो इस क्षेत्र की पुरातन सभ्यता, भारतीय परंपरा या इंडिया को भारत के रूप में दर्शाता है। यह पुस्तक मानवता के प्रति भारत के दृष्टिकोण पर विमर्श एवं अभिव्यक्ति के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती है।

बिहार लोक सेवा आयोग की सदस्य दीप्ति कुमारी ने कहा कि भारत का सम्पूर्ण भूखंड की समृद्ध संस्कृति ही हिंदुत्व है। सामूहिक आचरण, राष्ट्रीय व संस्कृति का ऐतिहासिक इतिहास है। जो, हिंदुत्व को परिभाषित करता है।

बदलते दौर में हिंदुत्व विषय पर चर्चा करते हुए गुरुप्रकाश ने कहा कि वर्तमान में हम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में विश्वगुरु नहीं बन सकते। हम विश्व गुरु बन सकते हैं तो वह है वैचारिक क्षेत्र, इसके पीछे का प्रमुख कारण यह है कि हमलोग अपने संस्कृति के दृढ़ संकल्पित हैं।

गुरुप्रकाश ने कहा कि अम्बेडकर व सावरकर के विचार समान हैं। दोनों का विचार मंदिर को लेकर देश में जो छुआछूत की परिभाषा थी उसे दूर करना दोनों का मकसद रहा। इसी कड़ी में उन्होंने दत्तोपंत ठेंगड़ी की अर्थनीति चिंतन की भी बात कही।

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