स्वाधीनता के लड़ाई में गुमनाम सेनानियों को खोजकर समाज के सामने लाना पत्रकारों का दायित्व : रामाशीष

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सीवान में आजादी के अमृत महोत्सव पर नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट, बिहार के द्वारा परिचर्चा आयोजित

सिवान : नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट, बिहार के सिवान इकाई द्वारा आजादी के 75 साल में बिहार की पत्रकारिता दशा और दिशा पर परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक रामाशीष सिंह शामिल हुए। अपने संबोधन में रामशीष सिंह ने आजादी के अमृत महोत्सव की सार्थकता पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में पत्रकारों के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि पत्रकारों को अपने गांव, अपने क्षेत्र में आजादी की लड़ाई में जो लोग शहीद हुए, जो लोग जेलों में बंद हुए और वे गुमनाम हैं, उनको समाज के सामने लाना आज के पत्रकारों का काम है, तभी आजादी का अमृत महोत्सव सार्थक होगा।

रामाशीष सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि पत्रकार से जिम्मेदार पत्रकार बनना पत्रकारिता की दशा है। उपयोगी, निर्माणकारी, जिम्मेदारीपूर्ण भूमिका पत्रकार की आने वाले समय की दशा है। राजनेता पत्रकार को अपनी जेब में रखना चाहते हैं। कोरोना काल की पत्रकारिता सब दौर से भिन्न है, हमारे देश और हमारे शासन-प्रशासन की छवि खराब हो सके, इसके लिए झूठ की एक लंबी पत्रकारिता की गई। इसी दौर में यह बात भी देखने को मिली कि हमारी खबर आपके मानसिकता का पोषण नहीं करती, तो आप हमें गोदी मीडिया का उपाधि दे डालते हैं। पत्रकार किसके प्रति उत्तरदाई हो, किसके प्रति निष्पक्ष हो यह बड़ा यक्ष प्रश्न है?

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उन्होंने कहा कि जो उत्साही होता है, वही पत्रकार होता है। भारत के समाज ने पत्रकारों को चौथा स्तंभ नाम दिया है। ऐसे में हमारा दायित्व समाज के प्रति और बढ़ जाता है। सिंह ने कहा कि प्रवक्ता और पत्रकार में अंतर होना चाहिए। समाज के पतन के साथ पत्रकारों में भी अवनीति हुई है, लेकिन हमें इसका ध्यान रखना है कि हम नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट बिहार हैं। पत्रकारों के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि इसकी एक सीमा है, इसके कुछ बिंदु है एक प्रत्यय है, एक प्रतिमान है। हम राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हैं।

पत्रकारों को चाहिए कि वह अपनी शब्दावली को गढ़े। पत्रकार का गुणधर्म होना चाहिए कि वे ज्ञान के निकट जाएं, वे शब्दों के माध्यम से समाज की ग्रंथियों को खोलें। पत्रकारिता में शिवत्व ही उसका धर्म है। आज आप आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि हम अमृत महोत्सव के माध्यम से समाज में अपने पुरखे, पूर्वजों को याद करें।

रामाशीष ने कहा कि स्वाधीनता के 75वें वर्ष में पत्रकारिता निश्चित ही लेखन की ताकत को बढ़ाएगी। राष्ट्र सर्वोपरि होगा, तो हम भी सुदृढ़ होंगे। पत्रकारिता में सत्य सापेक्ष शब्द हैं। भाषा की समृद्धि के लिए आवश्यक है कि आप नित्य अपने लेखन को सुदृढ़ करें, ताकि निर्भिक होकर अपने विचार प्रकट करें। कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि आज का यह आयोजन पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा और स्वाधीनता के 75वें वर्ष में इस तरह के आयोजन से आप सभी के माध्यम से समाज में जागरुकता आएगी।

कार्यक्रम में ललन सिंह नीलमणि (अध्यक्ष), रामाशीष सिंह, डॉक्टर अशोक प्रियम्बद, डॉक्टर विजय पांडेय, आकाश कुमार, आनंद किशोर मिश्रा, राजेश कुमार पांडेय आदि शामिल हुए।

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