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जिन्ना की सोच के विपरीत चलकर हम अखंड भारत के सपने को करेंगे साकार- राममाधव

लोकतंत्र भारत के स्वभाव और प्रकृति में है

पटना : राष्ट्रीय विचारक और चिंतक राम माधव ने कहा कि लोकतंत्र भारत के स्वभाव और प्रकृति में है। भारत का लोकतंत्र बहुसंख्यकवाद में विश्वास नहीं करता है, जैसा कि पश्चिमी देशों के लोकतंत्र में निहित है। ढाई हजार वर्ष पूर्व का बिहार का लिच्छवी गणराज्य इस तथ्य को प्रत्यक्ष प्रमाणित करता है, जिसको हम लोग गणतंत्र की जननी कहते हैं। वर्ष 1947 में देश के विभाजन के उपरांत भी हमने जिन्ना के विचारधारा को त्याग कर अपने स्वाभाविक और प्राकृतिक लोकतंत्र को अपनाया जिसमें सबको समान अधिकार और सब के विकास की परिकल्पना की गई।

भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर चिति (प्रज्ञा प्रवाह की इकाई) द्वारा आयोजित “तृतीय अटल स्मृति व्याख्यान” में “भारत के लोक आकांक्षा के 75 वर्ष” विषय पर अपने संबोधन में राम माधव ने ये बातें कही।

मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधन में राम माधव ने कहा कि लोकतंत्र के बारे में डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने उद्धृत किया कि बौद्ध भिक्षु संघ लोकतांत्रिक पद्धति से संचालित होता था। महात्मा गांधी ने भारत में आदर्श लोकतंत्र के लिए रामराज्य की कल्पना की थी जिसमें किसी भी नागरिक को सरकार की ओर से सभी सुविधाएं मिलना चाहिए चाहे वह किसी वर्ग, जाति, क्षेत्र या भाषा का हो। बिहार का लिच्छवी गणराज्य ढाई हजार वर्ष पुराना इतिहास इसको प्रत्यक्ष साबित करता है

पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इस संबंध में वेदों का उल्लेख कर दर्शाया था कि उस समय के सभी व्यवस्था में लोकतंत्र लागू था। उन्होंने कहा था की असली वास्तविक लोकतंत्र तभी होगा जब किसी किसी अल्पसंख्यक वर्ग का सबसे छोटे व्यक्ति को भी वही अधिकार मिले जो बहुसंख्यक वर्ग के किसी व्यक्ति को मिले। इसमें उन्होंने राजनीतिक अल्पसंख्यक की बात कही थी ना कि धार्मिक अल्पसंख्यक की क्योंकि राजनीतिक अल्पसंख्यक में सब आ जाते हैं।

अखंड भारत के संकल्प को जिंदा रखना है

राम माधव ने कहा कि हमें अटल जी के सुशासन और अखंड भारत के सपने को केंद्र में रखकर भारत के विकास में अपना योगदान करना चाहिए। जिस तरीके से यहूदियों ने अपना राज्य खत्म हो जाने के बाद 19 सौ वर्षों तक अपने नए राज्य के नए राज्य के निर्माण का संकल्प कायम और उसे इतने लंबे अवधि के बाद वर्ष 1948 ने पूरा किया, उसी तरीके से हमें अखंड भारत के संकल्प को जिंदा रखना है। समय आने पर यह अवश्य पूरा होगा।

आज की विपक्षी पार्टियां संसद की कार्यवाही नहीं चलने दे रही है, जिससे सत्तापक्ष को कोई भी बिल पास कराने में पारित कराने में कोई भी बिल पारित कराने में दिक्कत नहीं होता है। लेकिन लगातार ऐसे होते रहना लोकतंत्र के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की आकांक्षा के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि देश ने बहुत विकास किया है लेकिन उससे भी ज्यादा विकास की जरूरत है।

कार्यक्रम की शुरुआत बीआइए सभागार में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता राम माधव और उद्घाटनकर्ता भारतीय भारत साधु समाज के एवं बिहार संस्कृतिक विद्यापीठ के कार्यकारी अध्यक्ष स्वामी श्री केशवानंद जी महाराज ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। मंच संचालनकर्ता डॉक्टर किस्मत कुमार सिंह ने अतिथियों का परिचय कराया। चिति के संयोजक कृष्ण कांत ओझा ने अंग वस्त्र देकर अतिथियों का स्वागत किया। इसके उपरांत उन्होंने व्याख्यान के विषय की चर्चा की।

लोकतंत्र पूरी तरीके से सुरक्षित- केशवानंद

मंचासीन स्वामी केशवानंद जी महाराज व राममाधव

संबोधन की शुरुआत करते हुए स्वामी केशवानंद जी महाराज ने कहा कि संपूर्ण भारत के प्रबुद्ध जनों के हाथ में लोकतंत्र पूरी तरीके से सुरक्षित है। लोक आकांक्षा के 75 वर्षों में हमने काफी कुछ अर्जित किया है। लेकिन अभी आगे सफर बाकी है जिसे हम मिलकर पूरा करेंगे।

व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे आईसीपीआर, नई दिल्ली के अध्यक्ष डॉ रमेश चंद्र सिन्हा ने अटल जी से अपने संबंधों को याद करते हुए लोकतंत्र और सुशासन के प्रति उनके विचारों को रखा। विशिष्ट अतिथि बिहार लोक सेवा आयोग की सदस्य डॉ दीप्ति कुमारी ने भारत में शासन प्रशासन और संसदीय परंपरा में लोकतंत्र की महत्ता का विस्तार से चर्चा किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर ही बीआइए के पूर्व अध्यक्ष के पी एस केसरी ने स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र और आर्थिक विकास पर अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक रामनवमी जी ने भारत के लोकतंत्र और लोक आकांक्षा के 75 वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महर्षि अरविंद के अखंड भारत के सोच में आर एस एस विश्वास करता है और 1 दिन इस लक्ष्य को हम अवश्य प्राप्त करेंगे।

कार्यक्रम के आरंभ में ही भाजपा के वरिष्ठ नेता, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के प्रनेताओं में एक कल्याण सिंह के निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दिया गया।

कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन चिति के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सिंह ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत से हुआ। इस व्याख्यान में चिति के सत्यपाल जी, प्रशांत रंजन, वेद प्रकाश, मनीष तिवारी सहित अन्य पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।