‘तेज प्रताप-जगदानंद सिंह विवाद’ में बलि तो जगदा बाबू का ही चढ़ेगा!

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बिहार के सियासी मैदान में आजकल राजद के युवराज तेज प्रताप यादव और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के विवाद की चर्चा जोरों पर है। तेज प्रताप यादव आज राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के खिलाफ जमकर बोले। बोलते बोलते यहां तक बोल गए कि जगदानंद सिंह आर एस एस के हाथ के खिलौना बन गये है और जब तक उनको बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटाया जाता वह चुप नहीं बैठेंगे।

इस विवाद की ताजा खबर लगभग 2 सप्ताह पहले शुरू हुई जब जगदानंद सिंह के खिलाफ तेज प्रताप यादव का बयान आया था। इस बयान में जगदानंद सिंह को हिटलर तक कि संज्ञा दे दिया गया था। इसी से नाराज होकर जगदानंद सिंह 10 दिनों तक राजद कार्यालय में नहीं आए थे। विगत 15 अगस्त को पार्टी कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर भी वे नहीं आए। उनके अनुपस्थिति में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उक्त कार्यक्रम में तिरंगा फहराया। परम्परानुसार प्रदेश अध्यक्ष ही इस अवसर पर झंडोत्तोलन करते रहे हैं।

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राजद प्रमुख लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के काफी मान मनौव्वल के बाद जगदानंद सिंह कोप भवन से निकलकर 18 अगस्त को राजद कार्यालय आये। लेकिन इस बार जगदा बाबू का तेवर बदला हुआ था। आते ही उन्होंने छात्र राजद के अध्यक्ष पद से आकाश यादव को हटाकर उनकी जगह गगन कुमार को अध्यक्ष बना दिया। आकाश यादव तेज प्रताप के अत्यंत नजदीकी हैं और उनकी नियुक्ति तेज प्रताप यादव ने ही करवाई थी। इसके अतिरिक्त पत्रकारों द्वारा तेज प्रताप के बारे में पूछे जाने पर जगदा बाबू ने जवाब दिया कि ” ये तेजप्रताप कौन है? मैं उनके प्रति जिम्मेदार नहीं हूं। मैं राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के प्रति जिम्मेदार हूं। 75 पार्टी सदस्यों में एक तेजप्रताप भी हैं। क्या वह कोई पोस्ट पर हैं?” इस कदम के बाद स्पष्ट हो गया कि जगदानंद सिंह पार्टी में लालू राबड़ी के अलावा किसी और का हस्तक्षेप अब बर्दाश्त नहीं करेंगे।

अब स्पष्ट हो गया है कि तेज प्रताप यादव और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बीच विवाद थमने वाला नहीं है। आखिर इस विवाद का अंतिम परिणाम क्या होगा? तेज प्रताप अपने को राजद का स्वयंभू प्रमुख समझते रहे हैं और इस कारण उन्होंने कई कई बार अपने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का अपमान भी किया है। रघुवंश प्रसाद सिंह, रामचंद्र पूर्वे सहित कई नेता इसके उदाहरण रहे हैं। लेकिन अब तक का ट्रैक रिकॉर्ड यही बता रहा है कि तेज प्रताप पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और आगे भी नही होगा। विवाद ज्यादा बढ़ने की स्थिति में भी लगता है कि तेज प्रताप पर लालू यादव कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। ऐसी स्थिति में जगदानंद सिंह जैसे पुराने नेता को अपमान पीकर रहना होगा या फिर पार्टी छोड़ना पड़ेगा। ऐसे भी राजद व्यक्ति और परिवार आधारित पार्टी है। पार्टी का अपना कैलकुलेशन है कि परिवार एकजुट रहेगा तो पार्टी स्वत: ठीक रहेगी। लालू प्रसाद कभी भी अपने पुत्र के विरोध में नहीं जा सकते हैं। अगर वह अपने पुत्र तेज प्रताप के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हैं तो यह एक राजनीतिक तमाशा बन जाएगा। इससे पार्टी को ज्यादा नुकसान होगा।

निष्कर्ष यह है कि छुरा तरबूजा पर गिरे या तरबूजा छुरा पर गिरे, कटना तो तरबूजे को ही है। इसलिए इस विवाद में बलि तो जगदानंद सिंह का ही चढ़ेगा। जगदानंद सिंह या तो अपमान सहकर रहेंगे या फिर पार्टी छोड़ेंगे।

वेद प्रकाश

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