तेजस्वी के बाद सुमो ने चिराग को दी संजीवनी, कहा- लगनी चाहिए प्रतिमा व होना चाहिए राजकीय समारोह

0

पटना : रामविलास पासवान की पहली बरसी से एक दिन पहले आदमकद प्रतिमा व जयंती के मौके पर राजकीय समारोह आयोजित कराने को लेकर भाजपा व राजद एक सुर में बात कर रही है। तेजस्वी यादव के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि 1977 में आपातकाल हटने के बाद पहले संसदीय चुनाव में रामविलास पासवान ने सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतने का रिकार्ड बनाया था। ऐसे लोकप्रिय नेता की पहली बरसी पर सभी दलों और वर्गों के लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

सुमो ने कहा कि रामविलास पासवान एनडीए राजनीति के प्रमुख शिल्पी थे। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र भाई मोदी की यशस्वी सरकारों में रह कर देश की सेवा की। रेल मंत्री के रूप में उनके योगदान को बिहार कभी नहीं भुला सकता।

swatva

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बिहार के विकास और राष्ट्रीय राजनीति में जो बड़ी भूमिका निभायी, उसे देखते हुए पटना में उनकी प्रतिमा लगनी चाहिए। उन्होंने दलितों को आगे बढाने के लिए लगातार संघर्ष किया, लेकिन कभी नफरत की राजनीति नहीं की। उनकी जयंती पर राजकीय समारोह होना चाहिए।

ज्ञातव्य हो कि इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह एवं स्व० रामविलास पासवान जी दोनों ही राज्य के महान विभूति होने के साथ-साथ प्रखर समाजवादी नेता थे। दोनों ही राजनेताओं ने अपने सामाजिक सरोकारों और सक्रिय राजनीतिक जीवन के माध्यम से बिहार राज्य की उल्लेखनीय सेवा की। दोनों बिहार के ऐसे सपूत रहे हैं जिनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से हम सभी बिहारवासी सदा ऋणी रहेंगे।

इसी प्रकार स्व० रामविलास पासवान जी सामाजिक न्याय, समतावादी विकास और समाजवाद के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन वंचितों उपेक्षितों के सामाजिक उत्थान, संघर्ष, रक्षा एवं विकास के लिए समर्पित किया। वो बिहार के विकास के लिए सदैव संघर्षरत रहे।

अतः मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया स्व० रघुवंश बाबू एवं स्व० रामविलास पासवान जी की राज्य में आदमकद प्रतिमा स्थापित करते हुए उनकी जयंती अथवा पुण्यतिथि को राजकीय समारोह घोषित किया जाए।

बहरहाल, भाजपा व राजद के इस मांग के बाद नीतीश कुमार काफी असहज हो सकते हैं। सुर्खियों की मानें तो नीतीश पासवान परिवार की राजनीति को निष्क्रिय करना चाहते हैं। ऐसे में दो बड़े दलों के प्रमुख नेताओं की मांग पर जदयू किस तरह रिएक्ट करती है, यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि, फिलहाल नीतीश कुमार असहज जरूर हो गए होंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here