चैबे ने दी शहीद वन कर्मियों को श्रद्धांजलि, बताया- क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय वन शहीद दिवस

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पटना : केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली अश्विनी कुमार चौबे ने ट्वीट कर राष्‍ट्रीय वन शहीद दिवस के अवसर पर वनों, वन्‍यजीवन और पर्यावरण के लिए नि:स्‍वार्थ रूप से सर्वोच्‍च बलिदान करने वाले शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत की प्रभावशाली और विस्तृत जैव विविधता का संरक्षण वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा किया जाता है, जो इस महत्वपूर्ण संपदा के संरक्षण और इसके उन्नयन में अथक प्रयास कर रहे हैं। बीते कई वर्षों में वन विभाग ने वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के संरक्षण में अपने कई वन संरक्षकों को खोया है।

उन्होंने कहा कि देश की वन संपदा और वन्यजीवों के संरक्षण में देश के विभिन्न भागों में तैनात वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के बलिदान को सम्मान देने के लिए 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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इस दिन को इसलिए चुना गया है, क्योंकि इस दिन का ऐतिहासिक महत्व है। इसी दिन वर्ष 1730 में अमृता देवी के नेतृत्व में बिश्नोई जनजातीय समुदाय के 360 लोगों को राजस्थान के खेजार्ली में राजा के आदेश से मार डाला गया था, जो पेड़ों के काटे जाने का विरोध कर रहे थे। इस घटना के स्मरण में 3 अक्टूबर 2012 को वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) देहरादून में ब्रांडिस रोड के पास स्मारक स्थल पर एक स्मारक खंभा स्‍थापित किया गया था। इसके अलावा देश की जैव विविधता और वन्य संपदा के संरक्षण में अपने प्राण गंवाने वालों को सम्मान देने के लिए देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान परिसर में भी एक स्मारक बनाया गया है।

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