पटना : भारतीय शिक्षण मंडल, दक्षिण बिहार प्रांत द्वारा व्यास महोत्सव को लेकर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कोविड- 19 के दूसरी लहर में दिवंगत हुए भारतीय शिक्षण मंडल से जुड़े सदस्यों तथा उनके परिवार के किसी सदस्य सहित दक्षिण बिहार प्रांत के अन्य नागरिकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शंकरानंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व गुरु बनने के लिए राष्ट्र का पुनरुत्थान करना होगा। मन, वचन और कर्म रूपी गलतियों के कारण वर्षों वर्ष तक हमें गुलाम रहना पड़ा। हमें पूरी पृथ्वी के प्रत्येक जीव की भलाई के बारे में सोचना होगा। आत्मावलोकन करते हुए इस समाधान की यात्रा में कार्य करना चाहिए। व्यास पूजा से राष्ट्रीय पुनरुत्थान जुड़ा हुआ है। दुनिया में सभी के साथ संवेदनशील होकर अपनत्व की भावना से व्यवहार करें।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य ‘मैं’ पन को जलाकर परहित कार्य, दूसरे के प्रति सेवा कार्य होना चाहिए। प्रकृति का सुरक्षा एवं संवर्धन करना हमारा कर्तव्य है। माता-पिता शिक्षक एवं संत महात्मा को आदर्श बनना चाहिए। इसके अभाव में राष्ट्र का पुनरुत्थान संभव नहीं है। श्रेष्ठ गुरु बनने एवं सम्मान पाने के लिए जिज्ञास, व्याकुलता, समर्पण एवं परिश्रम का होना आवश्यक है। व्यास पूजा महोत्सव के शुभ अवसर पर उन्होंने कहा कि उपाध्याय-शिक्षक-आचार्य -गुरु-ऋषि ही एक क्रम है, इसी क्रम में एक शिक्षक अपनी अंतरात्मा की आवाज से चेतना के स्तर को ऊंचा कर उपाध्याय से ऋषि तक बन सकता है। तभी हमारा राष्ट्र विश्व गुरु बन सकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. ओम प्रकाश सिंह ने एवं मंच संचालन डॉ. निक्की कुमारी ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रांत संयोजक दिनेश मिश्रा और डॉ रमेश कुमार, संदीप कुमार, डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. स्नेहलता सिंह, डॉ. गोपाल सिंह, प्रो. वीरेंद्र गुप्ताल, अंबालिका आर्यन, निलेश कुमार की भूमिका सराहनीय रही। दक्षिण बिहार के प्रांत के विविध विश्वविद्यालय के कुलगुरु, प्रोफेसर, शिक्षक, शिक्षाविद सहित लगभग 175 बुद्धिजीवियों ने जुड़कर अपने को लाभान्वित किया।