बंगले में लगी आग बुझाएंगे शाह, सूरज की सहज पहल से फिर जलेगा चिराग
पटना : लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह जमुई लोकसभा क्षेत्र से सांसद चिराग पासवान इन दिनों बिहार के अलग-अलग जिलों में आशीर्वाद यात्रा पर हैं। इस मौके पर वे लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर हैं। नीतीश कुमार व उनकी पार्टी जदयू को चिराग कभी भी बुरा कहने से नहीं चूक रहे हैं। हाल के दिनों में चिराग ने कहा है कि बिहार में मध्यावधि चुनाव की तैयारी कर रहा हूं। जनता का आशीर्वाद मिल रहा है। इसलिए आशीर्वाद यात्रा निकाली है। उन्होंने दावा किया है कि बिहार में हर हाल में मध्यावधि चुनाव होगा।
हालांकि, इस बीच यह देखने को मिल रहा है कि चिराग अपने चाचा पशुपति के प्रति नरम हो रहे हैं। चाचा के प्रति नरमी को लेकर कहा जा रहा है कि अब आने वाले कुछ समय में परिवार और पार्टी फिर से एकजुट हो सकती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसके पीछे लोजपा के प्रभावी व्यक्ति व भाजपा के कद्दावर नेता अपने स्तर से मोर्चा संभाल लिए हैं।
मध्यस्था का जिम्मा सहजानंद के पास
हाल के दिनों में चिराग पासवान बिहार के प्रसिद्ध सर्जन और आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर सहजानंद सिंह से मिलने उनके आवास पहुंचे थे। जहां पर लोजपा के भविष्य को लेकर चर्चा हुई, चिराग और सहजानंद सिंह के बीच आधे घंटे बंद कमरे में बैठक हुई। बैठक को लेकर कहा जा रहा है कि सहजानंद सिंह ने यह संदेश दिया कि आपस में लड़ने से कोई फायदा नहीं है, पार्टी और परिवार एकजुट रहेगा तभी कुछ हो सकता है।
विदित हो कि सहजानंद सिंह का पासवान परिवार में काफी गहरा पैठ है, उनकी बातों को रामविलास पासवान काफी तवज्जो देते थे और उनके देखा-देखी उनके भाई और उनके बेटे भी सहजानंद सिंह को उतना ही तवज्जो देते हैं। चाहे बात पशुपति कुमार पारस की हो या चिराग पासवान की, कोई भी सहजानंद सिंह की बातों को हल्के में नहीं लेते हैं।
सूरज ने सहजानंद को किया आगे
विश्वस्त सूत्रों की माने तो सहजानंद सिंह लोजपा नेता सूरजभान सिंह के साथ विचार विमर्श करने के बाद चिराग पासवान के साथ बैठक की थी। सूरजभान नहीं चाहते हैं की चिराग सत्ता से दूर रहे। इसके अलावा सूरजभान यह भी समझ रहे हैं कि चिराग के बगैर लोजपा का भविष्य में कोई अस्तित्व नहीं रहेगा। पशुपति कुमार पारस या प्रिंस राज में वह काबिलियत नहीं है, जो चिराग में है। इसलिए, सूरजभान सिंह शुरुआत से ही सुरक्षित चाल चल रहे हैं। वे हमेशा कहते हैं कि पार्टी आज भी चिराग का है और कल भी चिराग का ही रहेगा। इसलिए वे हुए खुद नहीं मिल कर अपनी बात को सहजानंद सिंह के माध्यम से कहलवाया।
शाह ने संभाला मोर्चा
वहीं, दूसरी तरफ लोजपा को नीतीश कुमार एकजुट नहीं देखना चाहते हैं। लेकिन, भाजपा आलाकमान ऐसा नहीं चाहती है। भाजपा आलाकमान का मानना है कि लोजपा एकजुट रहेगी तभी भविष्य में एनडीए को फायदा होगा। इसलिए लोजपा को एकजुट रखने का जिम्मा भाजपा के कद्दावर नेता और देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपने हाथ में ली है। विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से जो बातें बाहर आई है उसके मुताबिक हाल के दिनों में अमित शाह ने पशुपति और प्रिंस को बुलाकर अपने आवास पर बातचीत की थी। इस दौरान शाह ने कहा कि आपस में लड़ने से कोई फायदा नहीं होगा, अब यह भी पता चल गया है कि लोगों का सेंटीमेंट चिराग के तरफ है और चिराग को समर्थन मिल रहा है। भलाई इसी में है कि चिराग को ही लोजपा की कमान दे दी जाए।