अधिकारियों का पाप भाजपा के सर, तारकिशोर को महंगा पड़ेगा लैट्रिन टैक्स!
नगर निगम एक ही काम करने का वसूल रहा है दो शुल्क/टैक्स
पटना : बिहार सरकार के अधिकारियों के गलती के कारण ऐसे अवैध व असंवैधानिक काम हो रहे हैं, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी और इसके मंत्रियों की बदनामी होने की आशंका है। अधिकारियों के गलतियो से नागरिकों में त्राहिमाम मचा हुआ है। इसका एक उदाहरण हम आज दे रहे है।
विदित हो कि पटना नगर निगम अधिनियम-1951 जो 1952 में लागू हुआ था, जिसमें होल्डिंग टैक्स का निम्नांकित दर निर्धारित था।
होल्डिंग टैक्स= 12.5 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
लैट्रिन टैक्स= 10 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
वाटरटैक्स= 10% आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
एजुकेशन सेस= 6.25 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
हेल्थ सेस= 5 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
कुल= 53.75% (यह पूरे भारत में उच्चतम टैक्स का रेट था)
पटना के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी एस के सिंह ने इसका संज्ञान दिया तथा इसे परिवर्तित किए जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार एवं उसकी प्रति शहरी विकास मंत्रालय को भेजा। मंत्रालय में इस पर Best Practices in Property (Holding) Tax पर विस्तृत अध्ययन कराने हेतु नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स, नई दिल्ली (जो भारत सरकार का शहरी निकाय के लिए एपेक्स बॉडी है) को भेजा। उसने भारत की चुनिंदा बड़े शहरों के टैक्स संरचना का अध्ययन कराया। पटना के अध्ययन का काम योगेंद्र त्रिपाठी, निदेशक, के एन सहाय पर्यावरण एवं शहरी विकास संस्थान से करवाया।
पूरे भारत के अध्ययन के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स ने पटना के अध्ययन/प्रस्ताव को सर्वश्रेष्ठ माना तथा उसे भारत सरकार को भेजा जो निम्नांकित था।
होल्डिंग टैक्स= 2.5 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
लैट्रिन टैक्स= 2 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
वाटर टैक्स= 2 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
एजुकेशन सेस= 6.25 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
हेल्थ सेस= 5 % आम मकान का वार्षिक मूल्यांकन
कुल= 9 %
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ और अर्बन अफेयर्स ने इसी रेट का अनुशंसा किया जिसे पटना नगर निगम के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने राज्य सरकार के द्वारा एस ओ नंबर 231, दिनांक 13 अगस्त 1999 को बिहार गजट में प्रकाशित करवाया जो आज तक हु बहू लागू है। इसकी सराहना भारत सरकार एवं योजना तक ने की।
इस अध्ययन रिपोर्ट के साथ भारत सरकार का Best Practices in Property (Holding) Tax की कॉपी अनेकों बार बिहार सरकार के नगर विकास विभाग एवम पटना नगर निगम को भेजा जा चुका है। लेकिन आज तक पर कोई विचार नहीं हुआ।
जहां तक होल्डिंग टैक्स एवम ठोस कचरा प्रबंधन शुल्क/फीस को समायोजित कर वसूलने का प्रश्न है,के एन सहाय संस्थान के इस प्रयास का नगर आयुक्त ने संज्ञान लिया है तथा टैक्स एवं फीस को अलग-अलग मानते हुए उसे अलग-अलग रसीद निर्गत करने का आदेश निर्गत किया है। किंतु जिन लोगों ने ऑनलाइन माध्यम से अब तक समन्वित रूप से दोनों एक साथ जमा किया है, उसे भी अलग-अलग रसीद मिलना आवश्यक है।
जहां तक लैट्रिन टैक्स का सवाल है, अब तो भारत में कही भी लैट्रिन हाथ से उठाकर फेंकने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे स्थिति में इसको खत्म कर देना चाहिए। इस टैक्स को सेनिटेशन शुल्क शुल्क में बदला जा सकता है। लेकिन यह यथावत है। इसके अतिरिक्त कचरा उठाने के लिए निगम सभी से रुपए 30 प्रति महीना वसूल करता है। मतलब ये है कि एक ही काम के लिए अभी दोनो टैक्स लिया जा रहा है। यह वैधानिक रूप से पूर्णत गलत है।
पटना नगर निगम द्वारा ये दोनो टैक्स लिए जाने का सभी जगह जबरदस्त विरोध हो रहा है। निगम अपने निर्धारित क्षेत्र में सभी से मोटी वसूली कर रही है जिससे लोगों में असंतोष बढ़ती जा रही है और एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार हो रही है। इस आंदोलन की दिशा सरकार विरोध के साथ भाजपा विरोध में भी होना तय है क्योंकि नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री अभी भाजपा के तारकिशोर प्रसाद है जो उपमुख्यमंत्री भी है।
ऐसे भी शहरी क्षेत्रों में तो भाजपा का ही जनाधार ज्यादा है। पटना और आसपासके क्षेत्रों में तो ज्यादातर जनप्रतिनिधि भाजपा के ही है। इसलिए जनाक्रोश का शिकार भाजपा ही होगी। तो क्या अधिकारियों की गलती का खामियाजा भाजपा भुगतेगी?