सुमो की दो टूक- जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर एनडीए के घटक दल सार्वजनिक बयानबाजी से बचें

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पटना : बिहार समेत पूरे देश मे इन समय जनसंख्या नियंत्रण को लेकर राजनीति गर्म है। कोई इसे सही कानून बता रहा है यो कोई इसे गलत। वहीं, भाजपा के सहयोगी दल के मुख्य नेताओं का कहना है कि केवल कानून बनाने से चीजें ठीक नहीं हो जाती, इसके लिए लोगों को शिक्षित व जागरूक करना जरूरी है। अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के कुछ सहयोगी दल जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में नहीं हैं।

वहीं, इस मसले पर अपनी राय रखते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सह राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत बड़ी आबादी वाला देश है, इसलिए इस मुद्दे पर वैधानिक, प्रशासनिक और अकादमिक स्तर पर भी लगातार विमर्श चलता रहा है। विश्व हिंदू परिषद ने एक बच्चे की नीति का विरोध किया है। कुछ संंगठनों की राय अलग है।

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इस पर एनडीए के घटक दलों को सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि मिल बैठ कर यह विचार करना चाहिए कि विकास की गति बढाने के लिए आबादी को कैसे नियंत्रित किया जाए और कैसे उसका उपयोग संसाधन के रूप में किया जाए।

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सरकारें पहले से अपने केवल उन कर्मचारियों को एलटीसी की सुविधा और बच्चों की पढाई के लिए 1500 रुपये मासिक की सहायता दे रही हैं, जो दो बच्चों की नीति का पालन करते हैं। आयकर में छूट और जननी स्वास्थ्य योजना का लाभ भी केवल दो बच्चों वालों को मिलता है।

असम, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में सरकारी नौकरी के लिए दो बच्चों की नीति अनिवार्य की गई है। इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

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