नवादा : रोहिणी नक्षत्र के प्रवेश के साथ यास तूफान के कारण हुई बारिश से धान के बिचड़े को तैयार करने के लिए खेतीबारी करने में जिले के किसान जुट गए हैं। रोहिणी नक्षत्र में बिचड़े तैयार करने कि प्रक्रिया से किसानों को अच्छी उपज होने की उम्मीद रहती है। धान की खेती के लिए रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व माना जाता है।
25 मई को रोहणी नक्षत्र के आगमन होते ही किसान खरीफ फसल बोने की तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि लॉकडाउन की बजह से किसानों को कृषि विभाग के कर्मचारियों के द्वारा कोई सुझाव या निर्देश नहीं दिया जा रहा है। फिर भी किसान अपने कार्य में जोर जोर से लग कर धान का बिचड़ा तैयार करने में लग गए हैं।
जब धान के बिचड़ा तैयार होता है तब कृषि विभाग के द्वारा धान की अच्छी पैदावार के लिए गुर सिखाने की बात बताई जाती है।
बताते चलें कि रोहिणी नक्षत्र में धान के बिचड़े डालने की शुरुआत किसानों के द्वारा कर दी गई है। किसानों ने कहा कि इस नक्षत्र में धान के बिचड़े तैयार करने से धान की रोपनी समय से शुरू हो जाती है। किसान कहते हैं कि जब समय से धान की रोपनी होती है तो अच्छी उपज होने की उम्मीद रहती है। रोहिणी नक्षत्र में धान के बिचड़े तैयार करने की दूसरी वजह है कि जिले के कई गांवों में किसानों के खेत खड्डा नुमा है जहां बरसात में पानी जमा रहता है और रोपनी पीछे होने पर बाधित हो जाती है। धान की खेती पर बाढ़ का खतरा मंडराने का अंदेशा रहता है।
हालांकि इससे बचाव के लिए धान के रूप में इस इलाके के किसान पहले ही करने की कोशिश में रहते हैं।पानी की तेज बहाव में पौधे रोकने के लिए उस बीज का चयन किया जाता है।जिससे पौधे पानी की तेज बहाव को सहने की क्षमता अधिक होती है।लेकिन कृषि विभाग के द्वारा किसानों को समय से जानकारी नहीं मिलने पर अच्छी पैदा करने की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
किसानों ने बताया कि क्षेत्र में लॉकडाउन लागू है। लेकिन किसानों को कृषि से जुड़ी जानकारी देने के लिए सभी पंचायतों में चौपाल के माध्यम से बिचड़े तैयार करने की जानकारी देनी चाहिए।ताकि किसान कम लागत में बेहतर तरीके से पैदा कर सकें। किसान रंजीत सिंह बताते हैं कि किसानी कार्यों के लिए रोहिणी नक्षत्र किसी उत्सव से कम नहीं होता है। 15 दिनों का यह समय धान फसल लगाने के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
मंगलवार से रोहिणी नक्षत्र शुरू होने के साथ ही किसान खेती-बाड़ी के काम में जुट गए हैं। किसानों द्वारा भूमि पूजन कर खेती-बाड़ी का काम शुरू कर दिया गया है। पहले खेत की जुताई कर उनसे खर-पतवार को चुना जाएगा। फिर धान का बिचड़ा उसमें डाला जाएगा।
हालांकि इस बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है।लगातार हुई बारिश के कारण सब्जियों के साथ साथ दलहन व मकई की पौधों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। तैयार फसलें खेतों में गिरकर बर्बाद हो गया है।