बिहार के 5 विश्वविद्यालयों ने 100 से अधिक फार्मेसी कॉलेज खोलने की दी अवैध अनुमति, गोरखधंधा जारी

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राज्य सरकार ने 48 घंटे में मांगा जवाब, 100 घंटे बीतने के बाद भी कुलसचिव का कहना है जवाब भेजा जाएगा। इस घोटाले के जनक BRA बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर हनुमान प्रसाद पांडे हैं। इस कार्यक्रम का संचालन लखनऊ केंद्र से हुआ है।

पटना : बिहार के विश्वविद्यालयों में उत्तर प्रदेश से आए कुलपतियों ने लूट मचा रखी है। सुशासन की सरकार में नाक के तले विश्वविद्यालयों में गोरखधंधा जारी है। बिहार के 5 विश्वविद्यालयों में हुए फार्मेसी घोटाला के जनक बी आर ए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर हनुमान प्रसाद पांडे एवं सीसीडीसी डॉ अमिता शर्मा हैं।

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के उपसचिव अरशद फिरोज द्वारा जारी पत्र सं. 15/सी.२-३३/२०२१–११८७ दिनांक-२५.०६.२०२१ के माध्यम से बिहार के 5 विश्वविद्यालयों के कुलसचिव से 48 घंटे के भीतर जवाब मांगा गया है। लेकिन, 100 घंटे से अधिक बीत जाने के बाद कुलसचिव का कहना है कि जवाब भेजा जाएगा। पत्र में स्पष्ट लिखा है कि पत्र प्राप्ति के 48 घंटे के अंदर स्पष्टीकरण दिया जाए कि आपके विरुद्ध उक्त कृत्य के लिए आरोप निरूपित कर विधि सम्मत कार्रवाई क्यों नहीं की जाय? राज्य सरकार के पत्र में यह स्पष्ट वर्णित है कि फार्मेसी महाविद्यालयों के संबंध में कोई परिनियम सन सूचित नहीं किया गया है। इसके अलावा कुलाधिपति कार्यालय से तकनीकी डिग्री महाविद्यालय को संबद्धता एवं एनओसी देने हेतु परी नियम अधिसूचित नहीं है।

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आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008 के अनुसार परंपरागत विश्वविद्यालयों द्वारा तकनीकी पाठ्यक्रमों एवं प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए संबंध नहीं दी जा सकती है, यानी वर्ष 2008 के बाद परंपरागत विश्वविद्यालय कोई तकनीकी कोर्स नहीं चला सकते हैं। इस संबंध में विधि विभाग का वैधिक परामर्श भी प्राप्त है। सरकार के पत्र के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय में दायर एसएलपी संख्या 260 86 /2012 में पारित नयायादेश के द्वारा संबंधन प्राप्त करने हेतु कार्यक्रम निर्धारित की गई है।

उच्च न्यायालय पटना द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एजुकेशन एंड रिसर्च 533/ 2017 एवं याचिका संख्या 46 ६०/२०१७ के क्रमशः दिनांक 16.04.2018 एवं 26 . 04. 2018 को पारित न्यायादेश की व्याख्या से यह स्पष्ट है कि काल बाधित सत्र का संबंधन/ एनओसी नहीं प्रदान की जा सकती है। उपर्युक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008 के अधिनियमित होने के उपरांत परंपरागत विश्वविद्यालयों द्वारा प्रोफेशनल एजुकेशन के लिए संबंधन एनओसी नहीं दी जा सकती है।

राज्य सरकार उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय की अवहेलना करते हुए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर हनुमान प्रसाद पांडे ने 17 महाविद्यालयों को फार्मेसी पाठ्यक्रम की संबद्धता की अनुमति दी है। इस कार्यक्रम के जनक डॉक्टर पांडे के अनुयाई के रूप में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा, मगध विश्वविद्यालय बोधगया, मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर ने 100 से अधिक फार्मेसी कॉलेजों को संबंधन के लिए अनुशंसित किया है।

इन सभी महाविद्यालयों के लिए इन कुलपतियों ने भारी मात्रा में राशि की उगाही की है! इस कार्यक्रम का संचालन सर्वविदित स्थल लखनऊ से हुआ है, इस घोटाले में अगर इन कुलपतियों पर कार्यवाही नहीं होती है, तो सुशासन के नाक के तले उत्तर प्रदेश से आए कुलपतियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार जारी रहेंगे।

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