कथित अल्पसंख्यकों ने दलितों के घर फूंके, महिलाओं को पीटा, खामोशी बरकरार!

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पूर्णिया : देश समेत पूरा बिहार इस समय कोरोना महामारी से निपटने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। भाजपा समर्थित बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गृह विभाग के मंत्री होने के कारण लगातार शासन व्यवस्था पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। लेकिन इसी बीच पूर्णिया से दिल दहलाने वाली बड़ी खबर निकल कर सामने आई है।

दरअसल, बिहार के पूर्णिया जिले के बयासी थाना क्षेत्र के खापड़ा पंचायत के माजुवा गांव में कथित अल्पसंख्यकों की भीड़ ने कहर बरपाया। भीड़ ने महादलित बस्ती में न सिर्फ एक दर्जन से अधिक घरों में आग लगाई और महिलाओं समेत कइयों के साथ जमकर मारपीट किया। जानकारी के मुताबिक बस्ती के चौकीदार की भी पिटाई की बाद मौत हो गई है।

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बताया जाता है कि मुस्लिमों द्वारा दलितों को वहां से भाग जाने को कहा जा रहा था। क्योंकि, कथित अल्पसंख्यक हमेशा यह कहते थे कि तुमलोगों के कारण हमारे गाँव में हमारे रिश्तेदार नहीं आते हैं। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों के बीच वाद-विवाद हुआ। इसके बाद आसपास के गांवों से करीब 150 मुस्लिम लोगों की भीड़ वहां पहुंच गई पूर्व, उत्तर और दक्षिण तीनों दिशाओं से वह पर भीड़ जमा हो गई थी। इन सबके हाथ में एक गैलन पेट्रोल था। भीड़ ने घरों पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी। इस दौरान जब लोग घर से निकल कर भागने लगे तो भीड़ ने उन्हें घसीटा और पीटना शुरू कर दिया। आरोपियों के पास तलवारें, लाठियां, पेट्रोल और बाइक की चेन भी थी। भीड़ के हमले में कई लोग घायल हुए हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि दलित समुदाय के मात्र 3 लोगों से सुबह में हल्की नोकझोंक हुई थी। उनमें रिजवी, शाकिद और इलियास है। बाकी लोग उसके साथ सिर्फ इसलिए आए क्योंकि, वह मुसलमान है। मुस्लिम समुदाय की मदद के लिए पूरे गांव की भीड़ पहुंची थी। इनलोगों द्वारा लोगों को बड़ी बेरहमी से मारा गया है। इससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और लगभग 20-25 लोग घायल हुए हैं और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

पीड़ितों ने बताया कि भीड़ को भड़का कर लाया गया था। इसके बाद एक मीटिंग की गई और हमले को अंजाम दिया गया। मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है बाकी की तलाश जारी है। हालांकि, पीड़ित लोगों का कहना है कि पुलिस द्वारा इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है!

पीड़ित ग्रामीणों ने बताया कि 2015 में भी इस तरह की घटना घटी थी। उसमें भी कई घर जला दिए गए थे। कई लोगों को घायल कर दिया गया था। पिछले 24 अप्रैल को भी लोगों के बीच मारपीट और आगजनी हुई थी। उन्होंने बताया कि यहाँ पर लगभग 60-70 महादलितों का घर है, जिसमें से 14-15 घरों को जला दिया गया है।

लोगों का कहना है कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण बांग्लादेसी व रोहिंग्या मुसलमान की भी खासी संख्या होने की शंका जताई जा रही है। इसलिए उस इलाके के हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है।

ज्ञात हो कि बिहार के पूर्णिया के सांसद जदयू के नीतीश कुमार के करीबी सिपाही माने जाने वाले संतोष कुशवाहा है। उनके द्वारा अभी तक इस मामले में कोई बयान नहीं जारी किया गया है। वहीं, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू अपने आप को अनुशासन प्रिय और प्रशासन पर तेज नजर रखने वाली पार्टी बताई जाती है। लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद भी अभी तक उनके ओर से कोई जवाब नहीं आना एक संदेह की स्थिति उत्पन्न करती है।

बहरहाल देखना यह है कि अपने को दलित हितैषी बताने वाले नीतीश सरकार इस मामले में कब संज्ञान लेती है और दोषियों को कब तक गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाला जाता है?

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