जनसंघ संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर भाजपा नेता ने दी श्रद्धांजलि, कही ये बातें
छपरा : भाजपा ने श्रद्धा पूर्वक मनाया डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस भारतीय जनता पार्टी छपरा सारण के तत्वधान में भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा के नेतृत्व में जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस जिला कार्यालय में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि भूमि, जन तथा संस्कृति के समन्वय से राष्ट्र बनता है।
संस्कृति राष्ट्र का शरीर, चिति उसकी आत्मा तथा विराट उसका प्राण है। भारत एक राष्ट्र है और वर्तमान समय में एक शक्तिशाली भारत के रूप में उभर रहा है। राष्ट्र में रहने वाले जनों का सबसे पहला दायित्व होता है कि वो राष्ट्र के प्रति ईमानदार तथा वफादार रहें। प्रत्येक नागरिक के लिए राष्ट्र सर्वोपरि होता है, जब भी कभी अपने निजी हित, राष्ट्र हित से टकराएं, तो राष्ट्र हित को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए, यह हर एक राष्ट्रभक्त की निशानी होती है।
भारत सदियों तक गुलाम रहा और उस गुलाम भारत को आजाद करवाने के लिए असंख्य वीरों ने अपने निजी स्वार्थों को दरकिनार करते हुए राष्ट्र हित में अपने जीवन की आहुति स्वतंत्रता रूपी यज्ञ में डालकर राष्ट्रभक्ति का परिचय दिया। ऐसे ही महापुरुष थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी। जिला मीडिया प्रभारी श्याम बिहारी अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी केवल राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं थे।
उनके जीवन से ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं को सीख लेनी चाहिए, उनका स्वयं का जीवन प्रेरणादायी, अनुशासित तथा निष्कलंक था। राजनीति उनके लिए राष्ट्र की सेवा का साधन थी, उनके लिए सत्ता केवल सुख के लिए नहीं थी। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी राजनीति में क्यों आए? इस प्रश्न का उत्तर है, उन्होंने राष्ट्रनीति के लिए राजनीति में पदार्पण किया। वे देश की सत्ता चाहते तो थे, किंतु किसके हाथों में ? उनका विचार था कि सत्ता उनके हाथों में जानी चाहिए, जो राजनीति का उपयोग राष्ट्रनीति के लिए कर सकें।
प्रवक्ता विवेक कुमार सिंह ने कहा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया। लेकिन नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात 6 अप्रैल, 1950 को उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक गुरु गोलवलकर जी से परामर्श लेकर मुखर्जी ने 21 अक्टूबर, 1951 को जनसंघ की स्थापना की।
भारत में जिस समय जनसंघ की स्थापना हुई, उस समय देश विपरीत परिस्थितयों से गुजर रहा था। जनसंघ का उदेश्य साफ था। वह अखंड भारत की कल्पना कर कार्य करना चाहता था। वह भारत को खंडित भारत करने के पक्ष में नहीं था। जनसंघ का स्पष्ट मानना था कि भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में दुनिया के सामने आएगा।
डॉ. मुखर्जी के अनुसार अखंड भारत देश की भौगोलिक एकता का ही परिचायक नहीं है, अपितु जीवन के भारतीय दृष्टिकोण का द्योतक है, जो अनेकता में एकता का दर्शन करता है। जनसंघ के लिए अखंड भारत कोई राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि यह तो हमारे संपूर्ण जीवनदर्शन का मूलाधार है।
कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष तुफैल खान कादरी, महामन्त्री शान्तनु कुमार, जिला मीडिया प्रभारी श्याम बिहारी अग्रवाल, जिला प्रवक्ता विवेक कुमार सिंह, जिला मंत्री सत्यानंद सिंह, सुपन राय, गायत्री देवी, आईटी सेल संयोजक निशांत राज, अनूप यादव, शत्रुघ्न भगत, साहेब रजा खान आदि उपस्थित हुए। बलिदान दिवस पर भाजपा जिलाध्यक्ष रामदयाल शर्मा ने अगस्त का पौधारोपण भी किया। छपरा सारण जिला के सभी बूथ पर डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया।