आत्ममुग्धता और आत्मप्रवंचना से मुक्त पुस्तक है सत्यम वदामि- स्वामी केशवानंद जी

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केंद्रीय भारत सेवक समाज द्वारा आयुक्त सभागार में आयोजित प्रांतीय अध्यक्ष और पूर्व आयुक्त विंध्याचल मंडल सत्यजीत ठाकुर की आत्मकथा सत्यम वदामि के विमोचन अवसर पर राष्ट्रीय कार्यकारी चेयरमैन और अखिल भारतीय साधु समाज के महासचिव स्वामी केशवानंद जी ने कहा कि भागवतपुराण का प्रारंभ और अंत सत्य से ही होता है सत्य ही शाश्वत है और सत्य कहने तथा स्वीकार करने की क्षमता बिरले लोगों में ही होती है। सत्यम वदामि आत्मकथा, आत्म मुग्धता और आत्म प्रवंचना से मुक्त पुस्तक है।

मुख्य अतिथि पद से पुस्तक का विमोचन करते हुये आयुक्त विंध्याचल मंडल योगेश्वर राम मिश्र ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कबीर दास जी के दोहे का उदाहरण देते हुए कहा कि जस की तस धार धिनी चदरिया। संघर्ष और सेवा भाव से व्यक्ति में सत्य कहने और स्वीकार करने की शक्ति आती है।

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पुस्तक के लेखक सत्यजीत ठाकुर ने अपने बचपन से लेकर प्रशासनिक सेवा के संघर्षो और जीवन वृतांत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तक के माध्यम से अपने अनुभवों को बताना चाहता हूँ, जिससे नई पीढ़ी को कुछ प्रेरणा मिल सके।

इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री इंद्र देव तिवारी, सचिव नरेंद्र गुप्ता, प्रांतीय महासचिव शरद प्रकाश अग्रवाल, सचिव आशुतोष दुबे, मंडलाध्यक्ष चक्रपाणि तिवारी, रामेश्वर गुप्ता, ओमप्रकाश सिंह, मधु सैलानी, बालमुकुंद, हृदय प्रकाश, राजकुमार आदि का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन राजेन्द्र तिवारी (लल्लू) जी ने किया।

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