मुंगेर की बहू को ब्रिटेन का सम्मान मिलने पर निशंक- हिंदी के उत्थान में बड़ा योगदान
रचनात्मकता से समृद्ध बिहार की मिट्टी की सोंधी खुशबू देश-विदेश में फैली हुई है। मिट्टी की इसी खुशबू में रची-बसी है जानी-मानी लेखिका और लोकप्रिय उद्घोषिका तथा मुंगेर की बहू और भागलपुर की बेटी अलका सिन्हा को शनिवार को केंद्रीय हिंदी संस्थान, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार (उच्चतर शिक्षा विभाग) के तत्वावधान में फ्रेडरिक पिनकॉट यूके अवॉर्ड-2014 से सम्मानित संस्था, वातायन-यूके के प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय वातायन सम्मान-2020 का भव्य समारोह में प्रसिद्ध लेखिका डॉ. उषा प्रियंवदा को वातायन अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मान के साथ अलका सिन्हा को वातायन अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। इस अवसर पर, केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा उषा प्रियवंदा को इक्यावन हजार रुपए और अलका सिन्हा को इकतीस हजार रुपए की राशि प्रदान की गई। सम्मान समारोह में प्रशस्ति पत्र का वाचन कर पुरस्कृत लेखिकाओं को ट्रॉफी प्रदान की गई।
2003 में प्रारंभ वातायन-यूके सम्मान अधिकांशतः हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स या नेहरू केंद्र, लंदन में प्रदान किए जाते रहे हैं। किंतु विगत वर्ष की तरह इस वर्ष भी वर्चुअल रूप में इसका आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपने वीडियो संदेश में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने पुरस्कार विजेताओं के चयन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए दोनों लेखिकाओं को बधाई दी और कहा कि हिंदी के उत्थान और विस्तार की दिशा में इन दोनों विशिष्ट लेखिकाओं का बहुत बड़ा योगदान है। इन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की जागृति की दिशा में अहम कार्य किया है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ‘जोशी’ ने कहा कि अलका सिन्हा का लेखन उन्हें हमारे समय की एक युगप्रवर्तक लेखिका के रूप में स्थापित करता है। चाहे विषयों का चयन हो अथवा उनकी अभिव्यक्ति की असाधारण शैली अथवा संवेदना और तथ्यों के रंगों में पगी उनकी इंद्रधनुषी जीवन यात्रा से निकला साहित्य, अलका जी ने ऐसे प्रतिमान स्थापित किए हैं जो असाधारण हैं।
ब्रिटेन में भारतीय मूल के सांसद, वीरेंद्र शर्मा ने अलका सिन्हा की कविता की पंक्तियों का संदर्भ देते हुए कहा कि इन पंक्तियों ने मुझे अपने बचपन की याद दिला दी और जीवन में अपने बच्चों और परिवार के साथ किए जाने वाले व्यवहार के बारे में अभिप्रेरित किया।