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आयातित नेताओं से भाजपा हलकान, पार्टी में बढ़ रहा ‘लुटियंस स्टाइल’!

नेता प्रतिपक्ष ने ट्वीट कर कहा कि मर्माहत हूँ। बिहार में सत्ता पक्ष और मंत्री सदन की गरिमा और आसन की महत्ता को तार-तार कर रहे है। सरकार के एक भाजपाई मंत्री अध्यक्ष महोदय की तरफ़ उंगली उठाकर कह रहे है कि व्याकुल मत होईए। ऐसे सदन नहीं चलेगा। कैसे कैसे लोग मंत्री बन गए है जिन्हें लोकतांत्रिक मर्यादाओं का ज्ञान नहीं?

दरअसल, तेजस्वी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि, कार्यवाही के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी से कहा कि प्रश्नों का जवाब ऑनलाइन माध्यम से नहीं आया है, इस पर मंत्री ने कहा कि 16 में से 14 प्रश्नों का जवाब ऑनलाइन माध्यम से दे दिया गया है, तो विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे कार्यालय में 9 बजे तक सभी प्रश्नों का जवाब निकाल दिया जाता है। उस दौरान आपका जवाब नहीं आया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष को सम्राट चौधरी ने कहा कि अधिक व्याकुल नहीं होइए, एक बार फिर से जांच करवा लीजिए।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आपने व्याकुल शब्द जो कहा है उसे वापस लीजिए। इस पर पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मैं अपने शब्द वापस नहीं लूंगा, मैंने कुछ गलत नहीं बोला है। मंत्री ने कहा कि इस तरह से सदन नहीं चलता है। आप इस तरह का डायरेक्शन नहीं दे सकते। अध्यक्ष बार-बार कहते रहे कि आप आसन के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते। लेकिन मंत्री सम्राट चौधरी अध्यक्ष से तल्ख़ लहजे में बात करते रहे।

सम्राट चौधरी के व्यवहार से नाराज अध्यक्ष ने आसन छोड़ दिया और सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विस अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा सत्तापक्ष के मंत्रियों के रवैये से आहत होकर इस्तीफा देने का मन बना लिए थे। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी समेत सत्तापक्ष के कई नेता अध्यक्ष को मनाने उनके कक्ष पहुंचे। लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष मानने को तैयार नहीं हो रहे थे।

बिहार भाजपा के नेतृत्वकर्ता की उदासीनता के कारण मामला बिगड़ता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहल करते हुए अध्यक्ष से बात की और उन्हें सदन चलाने के लिए मनाया। फिर सदन शुरू होने के 10 मिनट बाद विजय कुमार सिन्हा आसान पर विराजमान हुए।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो आयातित नेताओं के कारण भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह जगजाहिर है कि सम्राट चौधरी जैसे नेता कृपापात्र के कारण ही सरकार में शामिल हैं और अब उनके इशारे पर काम कर रहे हैं। इनका मुख्य ध्येय है सांगठनिक और जमीनी नेताओं को जलील करना। पार्टी से जुड़े लोग दबी जुबान यह भी कहते हैं कि इन जैसे नेताओं के कारण पार्टी को सांगठनिक स्तर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है।

वहीं, जानकारों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता समेत एक दबंग जाति के नेता अपने आकाओं के इशारे पर इस मिशन में जुटे हुए हैं। इनका काम एक विशेष रणनीति के तहत लुटियंस जोन की राजनीतिक शैली को अपनाकर शासन करना। इसलिए ये लोग पुराने और सांगठनिक लोगों को हर मंच जलील करने के लिए प्रयासरत हैं।