भारत के विकास में महिलाओं का अहम योगदान : स्मृति ईरानी

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नई दिल्ली : भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘शुक्रवार संवाद’ में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास व कपड़ा मंत्री स्मृति ज़ुबिन ईरानी कि ”जब हम घर से बाहर निकल कर सफल हुई महिलाओं के लिए खुश होते हैं, तो हमें उन महिलाओं की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, जो अपनी मर्जी से घर पर रहना पसंद करती हैं। भारत के विकास में उन महिलाओं का भी अहम योगदान है।

‘लोकतंत्र में स्त्री शक्ति’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब भी हम लोकतंत्र में स्त्री शक्ति की बात करते हैं, तो सिर्फ संसद में सेवा दे रही महिलाओं की बात होती है। लेकिन हम समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रही उन महिलाओं को भूल जाते हैं, जिनकी वजह से भारत ने एक मुकाम हासिल किया है।

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स्मृति ईरानी ने कहा कि मेरी परवरिश गुरुग्राम में हुई है। उस वक्त अगर मैं कहती कि एक तबेले में पैदा हुई लड़की गुरुग्राम से दिल्ली तक का 20 किलोमीटर का फासला 40 साल में तय कर लेगी, तो शायद लोग मुझ पर हंसते। लेकिन मुझे पूरा भरोसा था कि मेरी सोच, जज़्बे और आकांक्षा को एक शहर की सीमा नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि मैंने कभी रास्ते में आने वाली मुश्किलों को एक बाधा के रूप में नहीं देखा, मैंने इसे समाधान खोजने के लिए मिलने वाले एक रचनात्मक अवसर के रूप में देखा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समानता का मतलब है कि हर महिला को ये अधिकार मिले कि वो अपना जीवन कैसे जीना चाहती है। वो होममेकर बनना चाहती है या ऑफिस में काम करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में एक महिला सरपंच का भी उतना ही महत्व है, जितना एक महिला मुख्यमंत्री का है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि सिर्फ एक ही दिन महिलाओं के सम्मान का कोई औचित्य नहीं है। एक महिला का संघर्ष सिर्फ एक दिन तक ही सीमित नहीं होता। उसे हर दिन नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए महिलाएं हर दिन सम्मान पाने की अधिकारी हैं।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि स्त्री, शक्ति का ही रूप है। पुरुष का संपूर्ण जीवन नारी पर आधारित है। कोई भी पुरुष अगर सफल है, तो उस सफलता का आधार नारी ही है। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में सरकार का पूरा ध्यान इस बात पर केंद्रित है कि लड़कियां पीछे ना रहें और उन्हें शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हों।

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