पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को कम सीटें आने की एक वजह सवर्णों की नाराजगी को बताया जा रहा है। जिस तरह सवर्णों ने नीतीश कुमार से दूरी बनाई, इसका नतीजा जदयू परिवार अभी भुगत रहा है। लेकिन, अब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह सवर्णों की नाराजगी को खत्म करने के लिए सवर्ण प्रकोष्ठ का गठन किया है।
कहा जा रहा है जदयू लव-कुश समीकरण के साथ-साथ सवर्णों को पुनः अपने पाले में लाने के लिए इस प्रकोष्ठ का गठन किया है। इसी पहले नीतीश कुमार ने सवर्ण कोटे से 4 लोगों को मंत्री बनाया है। इनमें से विजय कुमार चौधरी, संजय झा, लेशी सिंह व सुमित कुमार सिंह शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी में वशिष्ठ नारायण सिंह, ललन सिंह जैसे दिग्गज मोर्चा संभाले हुए हैं।
वहीं, कुछ राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने नीतीश कुमार को जानबूझकर मुख्यमंत्री बनाया है। क्योंकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अंदर भी कई तरह के गुट काम कर रहे हैं। इन गुटों में सबसे काबिल वर्तमान में नीतीश कुमार का ही गुट है। क्योंकि दूसरे गुटों के पास अभी कोई बेहतर विकल्प मुख्यमंत्री के रूप में नहीं है।
वहीं, एक गुट का यह भी कहना है कि बिहार में जदयू की जितनी पकड़ महिला मतदाताओं पर है उतनी पकड़ अन्य किसी पार्टियों की नहीं है। निकटतम भविष्य में महिलाओं को विज्ञान, कला, साहित्य, सुरक्षा, खेल के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मिलने वाली है।
चर्चाओं के मुताबिक़ बिहार में होने वाले पंचायत चुनाव में भी महिलाओं पर विशेष ध्यान केंद्रित कराने का प्लानिंग सभी राजनीतिक दलों में चल रहा है। इसके लिए जो प्लानिंग बनाई जा रही है, उसके मुताबिक महिला उम्मीदवार की ताकत पंचायत और प्रखंड स्तर पर और अधिक मजबूत हो सकती है। अब तक चल रहे मुखिया पति और सरपंच पति का वर्चस्व समाप्त हो सकता है।