विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद चिराग पासवान की पार्टी लोजपा राजनीतिक गठबंधन को लेकर पशोपेश में है। लोजपा को अभी भी उम्मीद है कि भाजपा उसका साथ नहीं छोड़ेगी। वहीं, नीतीश कुमार ठान लिए हैं कि किसी भी परिस्थिति में लोजपा एनडीए से अलग हो जाए।
इस कड़ी में आज लोजपा नेता व नवादा से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए चंदन सिंह ने सीएम नीतीश से मुलाकात की है। मुलाकात के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या चिराग के नेतृत्व में सुरक्षित भविष्य नहीं देखने वाले नेता जदयू में जाना शुरू कर दिया है? हालांकि, इस मुलाकात को लेकर लोजपा नेताओं का कहना है कि यह औपचारिक मुलाकात थी। सांसद की मुख्यमंत्री से मुलाकात लोकसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं को लेकर हुई है।
विदित हो कि बीते दिन लोजपा के बागी नेता केशव सिंह ने कहा कि आगामी 18 फरवरी को लोजपा नेतृत्व से नाराज 60 से अधिक नेता जदयू का दामन थामेंगे। इस तरह की राजनीतिक घटनाक्रम के बाद इस बात की भी चर्चा है कि अब लोजपा नेताओं को आभास हो गया है कि नीतीश के दवाब में अब भाजपा चिराग को साथ नहीं ले पाएगी। इसलिए अगर सरंक्षित होकर सुरक्षित राजनीति करनी है तो सत्तापक्ष का दरवाजा खटखटाना होगा।
बंगाल चुनाव के कारण चिराग को नुकसान
वहीं, दूसरा पहलू यह भी है कि बंगाल चुनाव को लेकर भाजपा नीतीश कुमार के दवाब में है। फिलहाल नीतीश कुमार जो कह रहे हैं, भाजपा उसे बगैर किन्तु-परन्तु स्वीकार कर रही है। क्योंकि, चुनाव से पहले भाजपा, गठबंधन की सरकार में घटपट नहीं चाहती है और इसका सीधा नुकसान चिराग को उठाना पड़ रहा है। क्योंकि, भाजपा चाहकर भी सार्वजनिक रूप से चिराग को एनडीए में स्वीकार नहीं कर पा रही है। वहीं, दूसरी तरफ जिनकी राजनीति सत्ता संरक्षित होती है, उन्हें किसी भी हाल में सत्तापक्ष के दरवाजे पर हाजिरी लगानी होती है।
ललन सिंह का विकल्प सूरजभान
एक और अन्य थ्योरी यह है कि भूमिहार का जदयू से मोहभंग हो चुका है। इसलिए आरसीपी के नेतृत्व वाली नीतीश के पार्टी जदयू भूमिहार को साथ लाने के लिए ललन सिंह से बड़े चेहरे की तलाश कर रही है। क्योंकि, इस बार के चुनाव में ललन सिंह को उन्हीं के समाज के लोग राजनीतिक हैसियत का अहसास करा दिया। ललन सिंह को जिन-जिन विधानसभा सीटों को जिम्मेदारी दी गई, वहां उनकी लुटिया डूब गई। वहीं, चिराग की पार्टी लोजपा के सूरजभान सिंह भूमिहारों को साथ लाने में सफल रहे। इसके अलावा सूरजभान सिंह ने ही ललन सिंह को 2014 के चुनाव में हराया था। इसलिए आरसीपी ललन सिंह को कमजोर करने में कोई कसार नहीं छोड़ सकते हैं!