राजद सांसद ने उपराष्ट्रपति से लगायी गुहार, कोरोना टेस्टिंग घोटाले की हो जांच

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राज्यसभा में राजद नेता व रास सदस्य मनोज कुमार झा ने सभापति के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से बिहार में कथित कोरोना जांच घोटाले की जांच की मांग की है। मनोज झा की मांग को गंभीर बताते हुए उप राष्ट्रपति वेंकैय्या नायडू ने कहा कि मामला गंभीर है, इसकी जाँच हो।

इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक अंग्रेजी दैनिक अखबार की स्टिंग रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने आँकड़े नहीं बदलने पर तीन स्वास्थ्य सचिवों का तबादला कर एंटीजेन (Anti-gen) का वो “अमृत” मंथन किया कि 7 दिनों में प्रतिदिन टेस्ट का आंकड़ा 10 हज़ार से 1 लाख और 25 दिनों में 2 लाख पार करा दिया। सरकारी दावों के उलट कोरोना टेस्ट हुए ही नहीं और मनगढ़ंत टेस्टिंग दिखा अरबों का हेर-फेर कर दिया।

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मनोज झा के मुताबिक़ अंग्रेजी भाषा के एक अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने एक स्टिंग ऑपरेशन में इन गड़बड़ियों का खुलासा किया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बिहार के जमुई, शेखपुरा और बरहट के PHC में कोरोना टेस्टिंग के आंकड़ों के साथ घपलेबाजी की जा रही है। सरकार की तरफ से टेस्टिंग के आंकड़े बढ़ाए जाने के लिए फेक मोबाइल नंबर और फेक नामों का इस्तेमाल कर टेस्टिंग का डाटा तैयार किया जा रहा है।

फेक नंबर और फेक नाम पर तैयार की गई टेस्टिंग रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस ने तीनों ही जगहों पर तीन दिनों के डाटा को खंगाला. 16 जनवरी, 18 जनवरी और 25 जनवरी के आंकड़ों का जब जायजा लिया गया तो मालूम हुआ कि फेक नंबर और फेक नाम का इस्तेमाल कर के कोरोना टेस्टिंग की रिपोर्ट की जा रही है। जमुई, शेखपुरा और बरहट में इन तीन दिनों में तकरीबन 588 एंट्री की गई। जमुई के बरहट में 230 टेस्टिंग सैंपल्स का डाटा तैयार किया गया जबकि टेस्टिंग के लिए 12 का ही डाटा तैयार किया गया। सिकंदरा में 208 एंट्री में से 43 तो सदर के 150 एंट्री में से 65 का डाटा तैयार किया गया।

दिलचस्प बात यह है कि टेस्टिंग के पहले जिस नाम और नंबर की एंट्री कराई जाती है, वो ही गलत निकली. फेक निकली. एक-एक नंबर पर कम से कम 12-12 एंट्रियां की गई और उसी नंबर की तर्ज पर 12 के रिपोर्ट तैयार कर लिए गए। यहां तक कि कोरोना टेस्टिंग किट को इस्तेमाल करने की जहमत भी नहीं उठाई गई।

नंबरों को ट्रेस करने पर उत्तर प्रदेश से मिलता है कनेक्शन

जिस नंबर का इस्तेमाल करके टेस्टिंग की गई, वह नंबर ही फेक है. जब उस नंबर की जांच पड़ताल की गई तो मालूम हुआ कि उसने कभी कोरोना टेस्टिंग ही नहीं कराई. इंडियन एक्सप्रेस ने इन नंबरों को ट्रेस करना शुरू किया तो मालूम हुआ कि कोई नंबर उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ का है तो कोई नंबर जमुई का न हो कर बांका का है.

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