सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग में मनाया जाएगा मां सरस्वती का प्रकटोत्सव वसंत पंचमी
शुभ कार्यों के लिए खास है वसंत पंचमी पंचमी
ऋतुराज बसंत के आगमन का पर्व वसंत पंचमी इस बार माघ शुक्ल पंचमी के दिन 16 फरवरी को मनाया जाएगा। इस बार यह रेवती नक्षत्र में मनाया जाएगा, जिससे सारा दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं। मकर सक्रांति के बाद वसंत पंचमी का पर्व अब धूमधाम से मनाने की तैयारी आरंभ कर दी गयी है। शादियों के लिए यह दिन खास रहेगा तो वहीं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी इस दिन का खास महत्व है, प्रकृति में भी नए बदलाव इस दिन से देखने को मिलेंगे।
मां सरस्वती को किए जाते हैं पीले रंग के फूल अर्पण
वसंत पंचमी पर मां सरस्वती को पीले रंग का फूल अर्पण किए जाते हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व भी काफी है। यह दिन बसंत ऋतु का आगमन का प्रतीक होता है। इसलिए श्रद्धालु गंगा मां के साथ-साथ अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के साथ आराधना करेंगे। वहीं इस दौरान खेतों में सरसों चमकने लगती हैं, गेहूं की बालियां भी खिल उठती हैं। आम के मंजर से खुशबू आने लगती हैं।
वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
वसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त इस बार 16 फरवरी को सुबह 3 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन 17 फरवरी को सुबह 5:46 पर होगा। पंचमी के मौके पर रेवती नक्षत्र में अमृत सिद्धि योग व रवि योग में मां सरस्वती की पूजा होगी। बसंत पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त लगभग 6 घंटे का है। जिसमें अभिजीत मुहूर्त 11:41 से दोपहर 12:26 मिनट तक रहेगा। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने के साथ स्वादिष्ट चावल बनाए जाते हैं। पीला रंग बसंत का प्रतीक होता है।
ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं मां सरस्वती
शिक्षा और संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग इस दिन का सालभर से इंतजार करते हैं। मान्यता है कि माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है। पुराणों में बताया जाता है कि एकबार ब्रह्माजी भ्रमण पर निकले थे, तब सारा ब्रह्मांड मूक नजर आ रहा था, चारों ओर अजबी सी खामोशी नजर आ रही थी, इसको देखकर ब्रह्माजी को सृष्टि की रचना में कुछ कमी सी महसूस हुई। तब ब्रह्माजी के मुख से वीणा बजाती हुई मां सरस्वती प्रकट हुईं और संसार में ध्वनि और संगीत की लय गुंजने लगी।
शुभ कार्यों के लिए खास है दिन
शादी विवाह जैसे शुभ कार्यों के लिए यह अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन नामकरण, पूजन हवन, कथा, वाहन-ज्वेलरी खरीदारी के लिए भी शुभ है शादियों के चलते बाजारों में भी खरीदारों की काफी भीड़ है। इसके बाद 22 अप्रैल से शादी के मुहूर्त शुरू हैं। 15 जुलाई के बाद फिर नंवबर से मुहूर्त शुरू होंगे।