निगम में लूट का उदाहरण, 62 हजार प्रतिमाह के भाड़े पर लिया वाहन, अब लौटा रहे
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक योगेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि विगत दिनों ऐसी सूचना आई थी कि पटना नगर निगम के सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों ने कोरोना संक्रमण के कारण खर्च में कटौती को मद्देनजर रखकर अपने अपने व्यवहार हेतु रुपये 62000 प्रतिमाह निगम कोष से भुगतान के आधार पर रखे गए हैं।
इनोवा क्रिस्टा एसी कार को लौटाने का प्रस्ताव महापौर के समक्ष प्रस्तुत था। यह निश्चय ही फिजूलखर्ची रोकने के नाम पर झूठी वाहवाही लूटने का हास्यास्पद प्रस्ताव था। पटना नगर निगम ने कभी भी निर्णय नहीं लिया था कि सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों को लिए रुपये 62000 प्रतिमाह निगम कोष से भुगतान भाड़े के आधार पर इनोवा क्रिस्टा एसी कार लेकर उन्हें उपलब्ध कराया जाए। क्योंकि ऐसा किया जाना सरकारी संकल्प संख्या 2525 के दिनांक 19 मई 2015 एवं सरकारी आदेश संख्या 6071 दिनांक 17 नवंबर 2019 के बिल्कुल विरुद्ध था। अपने मनोनीत सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों के दबाव पर माननीया महापौर ने भाड़े पर गाड़ी लेने का निर्णय लिया था।
किंतु सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों ने तत्कालीन विवादास्पद नगर आयुक्त से सांठगांठ कर अविश्वसनीय महंगे इनोवा क्रिस्टा एसी कार भाड़े पर ले लिया जो निगम कोष की लूट का ज्वलंत उदाहरण है और अब नाखून कटा कर शहीद बनने का नाटक हो रहा है।
यह खुल्लम-खुल्ला भ्रष्टाचार का मामला है। इसकी गहन जांच कर संबंधित पदाधिकारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर निगम को उसके घाटे की भरपाई की जानी चाहिए तथा दबाव बनाने वाले सशक्त स्थाई समिति के विरुद्ध बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 (आई) (जे) (एल) के प्रावधान के अनुसार कार्रवाई के साथ-साथ माननीया महापौर को बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (5) के अंतर्गत “जानबूझकर इस अधिनियम के अधीन अपने कर्तव्यों के करने से इनकार या उपेक्षा करने या अपने कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने के कारण माननीया महापौर को अपने पद से सरकार द्वारा तुरंत हटाया जाना चाहिए”। यह अधिनियम के प्रावधान के अधीन लोके हित में खासकर पटना नगर निगम के हित में परमावश्यक है।