नवादा : जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के अधिकांश गांवों में हैलो गिरोह के ठगों का नेटवर्क फैल चुका है। कई गांवो में संचालित हैलो गिरोह के प्रशिक्षण सेंटर में दूसरे राज्यों से मोटी रकम देकर मंगवाए गए उक्त राज्य के क्षेत्रीय भाषा के जानकार प्रशिक्षक होते हैं। प्रशिक्षण प्राप्त युवा गिरोह से जुड़कर धंधा शुरू करते हैं। जो महज कुछ महीनों बाद दो या चार चक्के की लग्जरी वाहन का स्वामी बन जाता है। जिसे देख क्षेत्र के कम उम्र के लड़कों का आकर्षण हैलो गिरोह के प्रति बढ़ रहा है। क्षेत्र के कई धंधेबाज युवा बहुत ही कम दिनों में लखपति बन जाते हैं।
कोरोना संक्रमण के बाद लागू हुए लॉक डाउन के दौरान दूसरे प्रदेशों में रोजगार या मज़दूरी करने वाले क्षेत्र के युवा घर लौट गए थे जो धीरे धीरे गिरोह से जुड़कर मोटी कमाई का जरिया बना लिया है। वैसे युवा अब दूसरे राज्य में मज़दूरी करने जाना नहीं चाहते हैं। इस कारण लॉक डाउन अबधि में प्रखंड के अधिकांश ग्रामीण इलाको में हेलो गिरोह का व्यापक प्रसार हो गया है।
प्रखंड में कहाँ कहाँ सक्रीय है हेलो गिरोह:-
वारिसलीगंज प्रखंड के सोरहीपुर, कंधा, भवानीबीघा, भेड़िया, फतहा, बलबापर, चकवाय, अपसङ, बाघी, गोसपुर, धनबीघा, जलालपुर, आजमपुर, कोचगांव, पैंगरी, बरनावा, मुर्गियाचक, सौर, बेलदारिया, गोडापर, दरियापुर, शेखपुरवा, मकनपुर, चंडीपुर, गोपालपुर समेत थाना क्षेत्र के अधिकांश गांवों में गिरोह अपना पांव पसार चुका है। गिरोह में 12 बर्ष से लेकर 40 बर्ष के युवक युवतियां इसे रोजगार के रूप में अपना कैरियर बना ठगी के नेटवर्क से जुड़ रही है।
कई प्रकार से होती है ठगी:-
करीब दो दशक पहले तक नालंदा जिले के कतरीसराय में आयुर्वेदिक दवाइयों के माध्यम से सफेद दाग के धब्बों को जड़ से समाप्त करने के नाम पर विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में विज्ञापन छपवाकर ठगी के धंधे का शुभारंभ हुआ। जो हाल के दशक में बढ़कर वारिसलीगंज इलाकों के अलावे सीमावर्ती नालंदा, शेखपुरा तथा जमुई जिले के विभिन्न हिस्सों में हैलो गिरोह के रूप में बिस्तार हो गया है।
इस बीच चेहरा पहचानो-इनाम पाओ, मोबाइल टॉवर, पेट्रोल पम्प आवंटन, एटीएम क्लोनिग, कार्ड लॉक हो जाने की सूचना देकर पीन की जानकारी, परीक्षा में अच्छे अंकों से पास करवाने, गैस एजेंसी दिलवाने, लॉटरी में जीत बताकर लग्जरी कारों आदि का प्रलोभन देकर बिहार समेत देश के अन्य राज्यों के लोगों को मोबाइल फोन के माध्यम से अपना शिकार बनाकर बैंक खाता में राशि मंगवाई जाती है।
कहां होता है प्रशिक्षण:-
वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के चकवाय, सोरहीपुर तथा पैंगरी गांवों में वजाप्ता ट्रेनिंग सेंटर संचालित है। ट्रेंनिग कोई क्लास या हॉल में नहीं बल्कि खेत खलिहान या फिर बगीचे में एकत्रित होकर दिया जाता है। उक्त स्थान पर पुलिस नहीं पहुंच सके इसलिए संबंधित रास्ते पर एक पहरेदार होता है जो पुलिस आने की त्वरित सूचना उपलब्ध करवाता है। क्षेत्र के कम पढ़े लिखे युवा आठ से 10 दिनों के प्रशिक्षण बाद गिरोह द्वारा मोबाइल फोन एवं संबंधित व्यक्ति जिसे ठगना होता है उसका मोबाइल नम्बर देकर झांसे में फसाना होता है। खाते में आई राशि की निकासी में संबंधित बैंक एटीएम गार्ड से लेकर प्रबंधक तक गिरोह से मिले होते हैं। फलतः निकली गई राशि में निर्धारित शेयर वितरित होता है।
पुलिस की दबिश होता है बेअसर:-
करीब आठ बर्ष पहले पकरीबरावां के तत्कालीन एसडीपीओ रामपुकार सिंह के नेतृत्व में डीआईयू टीम ने वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के सोरहीपुर गांव को अहले सुबह घेर कर सघन छापेमारी किया था। जिसमें ठगी के आरोप में 27 ग्रामीण युवाओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। तब दो चार महीने गिरोह की सक्रियता मंद पड़ गई थी।
उसके बाद पड़ोसी जिलों की विभिन्न थाना की पुलिस सहित 20 दिसम्बर 20 को ठेरा पंचायत की जलालपुर गांव से पेट्रोल पम्प आवंटन के नाम पर 14 लाख ठगी के आरोप में तेलंगाना पुलिस तीन युवाओ को गिरफ्तार कर साथ ले गई। जबकि 19 दिसंबर 19 को छत्तीसगढ़ के रायपुर की पुलिस खानापुर गांव के निक्कू कुमार के घर छापेमारी किया।
2019 में ही केरल पुलिस चकवाय निवासी एक युवक को मोटी रकम के साथ पटना से गिरफ्तार कर साथ ले गई। उससे पहले 2018 में गुजरात पुलिस वारिसलीगंज के चांदनी चौक के पास घर बना कर रह रहे दरियापुर निवासी कल्लू कुमार को मोटी रकम के साथ गिरफ्तार कर साथ ले गई। जबकि राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि स्थानों की पुलिस सोरहीपुर, कंधा, मीरबीघा, चकवाय, अपसङ आदि गांवो में छापेमारी कर चुकी है।