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समिति में सिमटे दिग्गज, नहीं दिखा पाएंगे मंत्री की ठसक

पटना : बिहार में इन दिनों मंत्रिमंडल विस्तार को चर्चाएं काफी तेज है। इस बीच बीते दिन विधानसभा अध्यक्ष ने 22 विधानसभा समिति के सभापतियों की नामों की घोषणा की है। 22 में से 7 समितियां भाजपा के पास 6 राजद और 5 जदयू तो 2 कांग्रेस और 1-1 हम-वामदल के पास है। समितियों में 11 पूर्व मंत्रियों के नाम हैं। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समितियों की घोषणा के बाद भाजपा के 6 और जदयू के 5 पुराने मंत्रियों के फिर मंत्रिमंडल में घुसने के रास्ते लगभग बंद हो गए हैं।

सत्तापक्ष की तरफ से विधानसभा समितियों में जिन-जिन को रखा गया है, उन नेताओं को अगले मंत्रिमंडल के विस्तार में नहीं रखा जाएगा। इसमें बिहार भाजपा के कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। जिनमें से पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव, डॉ. प्रेम कुमार, रामनारायण मंडल, कृष्ण कुमार ऋषि, विनोद नारायण झा और राम प्रवेश राय। इन सभी को समितियों का सभापति बनाकर मंत्रिमंडल में प्रवेश की संभावनाओं को लगभग खत्म कर दिया गया।

वैसे भी भाजपा बिहार से नए शुरुआत की संकेत दे चुकी है। इस बार बिहार चुनाव में किसी भी पुराने चेहरे को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई है। यहां तक कि विधानसभा अध्यक्ष के रेस में सबसे आगे रहे नंदकिशोर यादव को विजय सिन्हा ने रिप्लेस कर दिया। इसके बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि आगामी मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठ नेताओं को जगह दी जा सकती है। लेकिन, पार्टी नेतृत्व के साथ-साथ थिंक-टैंक ने तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए स्पष्ट कर दिया कि आने वाले समय में पार्टी नए चेहरे को लेकर ही आगे बढ़ेगी।

वहीं, जदयू ने अपने 5 नेताओं को समितिओं में जगह दिलवाकर मंत्री बनने की संभावनाओं को खत्म कर दिया है। इनमें से नरेंद्र नारायण यादव, हरिनारायण सिंह, दामोदर रावत, अमरेंद्र कुमार पांडे और शशि भूषण हजारी के लिए मंत्रिमंडल का दरवाजा बंद कर दिया है। वैसे भी जदयू इसबार ज्यादा लोगों को कैबिनेट में जगह नहीं दे सकती है।

अमूमन लोक लेखा समिति की जिम्मेदारी विपक्ष के पास ही रहती है और इस बार भी राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव को इस समिति का सभापति बनाया गया है। वहीं, लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को गैर सरकारी विधेयक एवं संकल्प का सभापति बनाया गया है। जदयू के बाहुबली विधायक अमरेंद्र कुमार पांडे को प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति का सभापति बनाया गया है।

22 विधानसभा समिति के सभापतियों की बात करें तो इसमें सबसे अधिक यादव जाति से आने वाले 5 विधायक हैं वहीं भूमिहार, ब्राह्मण, मूसहर, मुस्लिम और कुर्मी से 2-2, जबकि चौपाल, पासवान, राजपूत, कहार, तेली, धानुक, हलवाई, और नोनिया से 1-1। वैसे इन समितिओं का गठन आम बात है लेकिन, इस बार समितियों के सभापति का चयन चर्चे में इसलिए है क्योंकि, इस दफे काफी दिग्गज व चर्चित चेहरे को सभापति बनाया गया है। इसमें पूर्व सीएम से लेकर कई मंत्री शामिल हैं।

लोक लेखा – सुरेंद्र प्रसाद यादव – राजद
प्राक्कलन – नंद किशोर यादव – भाजपा
सरकारी उपक्रमों संबंधी – हरि नारायण सिंह – जदयू
याचिका – प्रेम कुमार – भाजपा
SC/ST कल्याण – जीतन राम मांझी – हम
आचार- राम नारायण मंडल – भाजपा
जिला परिषद एवं पंचायती राज – नरेंद्र नारायण यादव – जदयू
राजकीय आश्वासन – दामोदर रावत – जदयू
बिहार विरासत विकास – भाई वीरेंद्र – राजद
प्रत्यायुक्त विधान – अजीत शर्मा – कांग्रेस
निवेदन – विनोद नारायण झा – भाजपा
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण – राम प्रवेश राय- भाजपा
महिला एवं बाल विकास – अरुणा देवी – भाजपा
कृषि उद्योग विकास – कृष्ण कुमार ऋषि – भाजपा
प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण – अमरेंद्र कुमार पांडेय – जदयू
गैर सरकारी विधेयक एवं संकल्प – तेज प्रताप यादव – राजद
पुस्तकालय – सुदामा प्रसाद – माले
पर्यटन उद्योग संबंधी – अनिता देवी- राजद
आंतरिक संसाधनन एवं केंद्रीय सहायता – शमीम अहमद- राजद
शून्य काल – चंद्रहास चौपाल – राजद
अल्पसंख्यक कल्याण – मो. अफाक आलम- कांग्रेस
आवास – शशि भूषण हजारी – जदयू