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भाजपा द्वारा किसानों के नाम पर आयोजित चौपाल ढकोसला, झांसे में नहीं आएंगे किसान- RJD

पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने किसानों को आतंकवादी बताने वाले भाजपा द्वारा किसानों के नाम पर आयोजित चौपाल को ढकोसला बताते हुए कहा है कि बिहार के किसान उनके झांसे में आने वाली नहीं है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार के किसानों के बारे में एनडीए नेताओं द्वारा फर्जी दावे किये जा रहे हैं। सच्चाई यह है कि बिहार के किसानों में दूसरे राज्यों की तुलना में ज्यादा आक्रोश है। इसका इजहार बिहार के किसानों ने अभी हुए बिहार विधानसभा चुनाव में कर भी दिया है।

राजद प्रवक्ता ने विधानसभा चुनाव में एनडीए को मिले किसानों का समर्थन के दावे को खारिज करते हुए कहा कि बिहार के जिस क्षेत्र को ‘ धान का कटोरा ‘ कहा जाता है वहाँ एनडीए का खाता भी नहीं खुला है। बिहार में पन्द्रह ऐसे जिले हैं जहाँ जदयू को एक भी सीट नहीं मिला जबकि दस जिलों में भाजपा का सफाया हो गया। यह वही क्षेत्र है जहाँ धान का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है।

बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए के नेता अपनी उपलब्धि के रूप में बार-बार इस बात की दुहाई देते हैं कि बिहार मे 2006 में हीं एपीएमसी यानी मंडी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है, जिसे केन्द्र सरकार अब लागू करने जा रही है। लेकिन वे इस बात का उल्लेख नहीं करते कि एपीएमसी समाप्त होने के बाद भी बिहार के किसानों की स्थिति बदत्तर होती जा रही है।

बिजनेस टुडे डाॅट इन के आंकड़े के अनुसार बिहार के किसानों की औसत आय प्रतिवर्ष 42,684 रूपये है जो कि सबसे नीचले पायदान पर है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर किसानों की औसत आय 77,124 रू॰ प्रतिवर्ष है। पंजाब और हरियाणा के किसानों की औसत आय क्रमशः 2,16,708 रू॰ और 1,73,208 रू॰ प्रतिवर्ष है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में पैक्स के माध्यम से धान और गेहूं खरीदने की व्यवस्था है। पर इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल बना दी गई है कि न तो किसान अपने उत्पाद को पैक्स के माध्यम से बेचना चाहता हैं और न पैक्स हीं किसानों से खरीदना चाहती है। फलतः किसान अपने उत्पाद को बिचौलियों के माध्यम से औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर होते हैं।